भारत ने आर्थिक विकास को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अलग करने में उल्लेखनीय प्रगति की है, 2005 से 2020 के बीच जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी हासिल की है। यह प्रगति पेरिस समझौते के तहत देश के जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों के अनुरूप है।
मुख्य बिंदु
कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
- 2020 में, भूमि उपयोग, भूमि उपयोग परिवर्तन, और वानिकी (LULUCF) को छोड़कर, भारत का कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2,959 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष (MtCO2e) था।
- LULUCF सहित, यह 2,437 MtCO2e था।
- 2019 की तुलना में 7.93% की कमी, लेकिन 1994 के मुकाबले 98.34% की वृद्धि हुई।
उत्सर्जन तीव्रता में कमी
- 2005 से 2020 के बीच जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी।
- भारत का 2030 तक 45% की कमी का एनडीसी लक्ष्य पाने की राह पर।
गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता
- अक्टूबर 2024 तक, गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों का हिस्सा भारत की स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 46.52% था।
- कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता (बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स सहित) 203.2 गीगावाट (GW) तक पहुंची।
- भारत का 2030 तक 50% गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता का एनडीसी लक्ष्य।
कार्बन सिंक में वृद्धि
- 2005 से 2021 के बीच, भारत ने वनों और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया।
- 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने की प्रतिबद्धता।
क्षेत्रीय उत्सर्जन विवरण (2020)
- ऊर्जा क्षेत्र: कुल उत्सर्जन का 75.66%।
- कृषि क्षेत्र: 13.72%।
- औद्योगिक प्रक्रियाएं और उत्पाद उपयोग (IPPU): 8.06%।
- कचरा प्रबंधन: 2.56%।
प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत
- वैश्विक जनसंख्या का 18% होने के बावजूद, 2022 में भारत की वार्षिक प्राथमिक ऊर्जा खपत प्रति व्यक्ति 25.4 गीगाजूल (GJ) थी।
- वैश्विक औसत 78 GJ प्रति व्यक्ति और उच्च आय वाले देशों में 119 GJ प्रति व्यक्ति थी।
- अमेरिका में यह 277 GJ प्रति व्यक्ति थी।
- विकासात्मक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को ऊर्जा खपत बढ़ाने की आवश्यकता है।
बियेनियल अपडेट रिपोर्ट (BUR-4)
- भारत ने अपनी चौथी बियेनियल अपडेट रिपोर्ट (BUR-4) 30 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) को सौंपी।
- इस रिपोर्ट में उत्सर्जन, जलवायु कार्रवाई प्रगति, और अनुकूलन व शमन में समर्थन की आवश्यकताओं का अद्यतन प्रस्तुत किया गया है।
समाचार में क्यों? | मुख्य बिंदु |
भारत ने 2005 से 2020 के बीच जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी दर्ज की, जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है। | जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता में कमी: 2005 से 2020 के बीच 36%। |
भारत का एनडीसी (Nationally Determined Contribution) लक्ष्य 2030 तक जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी है। | 2030 लक्ष्य: 2005 के स्तर से 45% की कमी। |
2024 तक, भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी स्थापित विद्युत क्षमता का 46.52% हासिल कर लिया। | गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता (2024): 46.52%। |
2020 में कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (LULUCF को छोड़कर) 2,959 मिलियन टन (MtCO2e) था। | कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (2020): 2,959 मिलियन टन (LULUCF को छोड़कर)। |
2005 से 2021 के बीच, वनों और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.29 बिलियन टन का कार्बन सिंक प्राप्त किया गया। | कार्बन सिंक (2005-2021): 2.29 बिलियन टन। |
2022 में भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 25.4 गीगाजूल (GJ) थी, जो वैश्विक औसत 78 GJ से काफी कम है। | प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत (2022): 25.4 GJ, वैश्विक औसत 78 GJ प्रति व्यक्ति से कम। |
भारत ने दिसंबर 2024 में UNFCCC को बियेनियल अपडेट रिपोर्ट (BUR-4) सौंपी, जिसमें उत्सर्जन, जलवायु कार्रवाई और प्रगति का विवरण था। | BUR-4 प्रस्तुत: दिसंबर 2024 में UNFCCC को सौंपी गई। |
उत्सर्जन में योगदान देने वाले प्रमुख क्षेत्र (2020): ऊर्जा (75.66%), कृषि (13.72%), IPPU (8.06%), कचरा (2.56%)। | क्षेत्रीय उत्सर्जन विभाजन (2020): ऊर्जा: 75.66%, कृषि: 13.72%, IPPU: 8.06%, कचरा: 2.56%। |
2020 में भारत का कुल उत्सर्जन, LULUCF सहित, 2,437 मिलियन टन (MtCO2e) था। | कुल उत्सर्जन (LULUCF सहित, 2020): 2,437 मिलियन टन। |