इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने वित्त वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को 7.1% के पिछले अनुमान से बढ़ाकर 7.5% कर दिया है। यह संशोधित अनुमान आरबीआई के 7.2% के पूर्वानुमान और वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वेक्षण के 6.5-7% के अनुमान से अधिक है। वृद्धि का श्रेय सरकारी नीतियों और बढ़े हुए पूंजीगत व्यय से प्रेरित उपभोग मांग में अपेक्षित सुधार को दिया जाता है।
सरकारी पहल: केंद्रीय बजट में कृषि और ग्रामीण व्यय को बढ़ाने, एमएसएमई के लिए ऋण पहुंच में सुधार और रोजगार को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे विभिन्न आय वर्गों में उपभोग मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट: कॉर्पोरेट और बैंक लीवरेज में कमी, साथ ही निजी कॉर्पोरेट पूंजीगत व्यय में संभावित वृद्धि से आर्थिक विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।
निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE): वित्त वर्ष 25 में 7.4% तक बढ़ने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 24 में 4% से उल्लेखनीय वृद्धि है। वृद्धि अधिक समावेशी होने की उम्मीद है, जिससे सामान्य से बेहतर मानसून की स्थिति और बजट उपायों के कारण निम्न आय वाले परिवारों को लाभ होगा।
खाद्य मुद्रास्फीति: जोखिम बनी हुई है, लेकिन वित्त वर्ष 25 में खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आने से इसकी भरपाई होने की उम्मीद है, जिससे वास्तविक मजदूरी वृद्धि में मदद मिलेगी।
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