श्रीलंका पिछले कुछ साल से कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। देश में आर्थिक संकट के कारण भोजन, बिजली और ईंधन की कमी हो गई है। पिछले साल श्रीलंका अपने कर्ज चुकाने के दायित्वों से चूक गया, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ उसे तीन अरब यूरो का बेलआउट सौदा करना पड़ा था। अब एक बार फिर देश ने आईएमएफ की ओर सहायता की नजर से देखा है।
इसी को लेकर आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने श्रीलंका के साथ 48 महीने की विस्तारित कोष सुविधा के तहत पहली समीक्षा पूरी कर ली है। साथ ही फैसला लिया है कि नकदी संकट से जूझ रहे देश को व्यापक आर्थिक व ऋण स्थिरता बहाल करने के लिए करीब 33.7 करोड़ डॉलर की सहायता दी जाएगी।
श्रीलंका के वरिष्ठ मिशन प्रमुख पीटर ब्रेउर ने बताया कि आईएमएफ द्वारा 2.9 अरब डॉलर जारी करने की पहली समीक्षा को समाप्त करने के लिए चीन के साथ ऋण पुनर्गठन का काम बहुत ही गोपनीय आधार पर किया गया। श्रीलंका ने चीन से काफी कर्ज लेकर रखा है। उसे अपने कुल ऋण का 52 प्रतिशत हिस्सा चीन को देना है।
चीन, भारत और जापान श्रीलंका के शीर्ष तीन द्विपक्षीय ऋणदाताओं में शुमार हैं। जबकि इन देशों से महत्वपूर्ण ऋण आता है, अंतर्राष्ट्रीय सॉवरेन बांड (आईएसबी) के माध्यम से जमा किया गया एक बड़ा हिस्सा निजी ऋणदाताओं का बकाया है। आईएमएफ ने श्रीलंका से व्यापक ऋण पुनर्गठन के लिए तुलनीय शर्तों पर आधिकारिक ऋणदाताओं और बाहरी निजी ऋणदाताओं दोनों के साथ समाधान तक पहुंचने का आग्रह किया है।
आईएमएफ ऋण स्थिरता बहाल करने, राजस्व बढ़ाने, रिजर्व बफर के पुनर्निर्माण, मुद्रास्फीति को कम करने और वित्तीय स्थिरता की सुरक्षा में श्रीलंका की सराहनीय प्रगति को स्वीकार करता है। हालाँकि, आईएमएफ चल रहे मितव्ययिता उपायों के सामने शासन में सुधार और गरीबों और कमजोरों की रक्षा के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करता है।
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