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भारत-अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्तियों के समझौते पर हस्ताक्षर, जाने सबकुछ

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भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ा समझौता हुआ है। समझौते के तहत संस्कृति से जुड़ी संपत्तियों की अवैध तस्करी पर लगाम लगाई जाएगी। इसके अलावा पौराणिक वस्तुओं को उनके मूल स्थान पर लौटाने को लेकर भी समझौता हुआ है। संस्कृति मंत्रालय की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है।

बता दें कि दिल्ली के भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति का 46वां सत्र चल रहा है। इस सत्र के इतर भारत के केंद्रीय संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह एक सामान्य समझौता है जिसके तहत, अमेरिका से भारत की पौराणिक वस्तुओं और ऐतिहासिक कलाकृतियों को स्वदेश लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने आगे बताया कि अमेरिका में भारत की 297 ऐतिहासिक वस्तुएं हैं , जिन्हें भारत में वापस लाया जाएगा। शेखावत ने कहा कि वर्ष 1976 से अब तक भारत द्वारा अमेरिका से 358 प्राचीन वस्तुओं को वापस लाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह समझौता हमारी संस्कृति से जुड़ी पौराणिक वस्तुओं की अवैध तस्करी पर लगाम लगाने के लिए हुआ है। इसके अलावा ऐतिहासिक वस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस लौटाना भी इस समझौते की प्रमुख बात है।

अमेरिकी दूतावास ने क्या कहा?

अमेरिकी दूतावास का कहना है कि भारत, अमेरिका के उन 29 साझेदारों में शामिल हो गया है, जो आपस में सांस्कृतिक संपत्तियों को साझा करते हैं। अमेरिकी दूतावास ने कहा कि इस समझौते के तहत दो खास बातों का ध्यान रखा गया है। सबसे पहली बात यह कि यह भारतीयों को उनकी पौराणिक वस्तुएं लौटाई जाएंगीं। दूसरी बात यह कि इससे भारत दुनिया से भी जुड़ेगा।

अंतर्राष्ट्रीय और द्विपक्षीय प्रभाव

अमेरिका ने कई देशों के साथ इसी तरह के समझौते किए हैं, जिससे सांस्कृतिक संपत्ति संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता बढ़ती है। यह समझौता अमेरिका से भारतीय कलाकृतियों को वापस लाने में सहयोग बढ़ाने और त्वरित कार्रवाई करने का संकेत देता है।