हिमाचल प्रदेश को लुप्तप्राय हिमालयी जड़ी-बूटियों के संरक्षण में अपना योगदान देने वाला पहला जैव विविधता पार्क (biodiversity park) मिला है। यह पार्क मंडी की भूलाह घाटी में बनने के लिए तैयार है। 1 करोड़ रुपये की लागत से, हिमाचल प्रदेश के वन विभाग द्वारा राष्ट्रीय हिमालय अध्ययन मिशन (National Mission on Himalayan Studies – NMHS) के तहत जैव विविधता पार्क की स्थापना की गई है। पार्क का उद्देश्य हिमालय में पाए जाने वाले विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों की गहन खोज करने के लिए शोधकर्ताओं के लिए नए अवसरों का विस्तार करने के साथ-साथ पर्यटन गतिविधियों को जोड़ना है जो विलुप्त होने के कगार पर हैं।
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जैव विविधता पार्क क्यों महत्वपूर्ण हैं ?:
जैविक विविधता मानव जाति के निरंतर अस्तित्व के लिए एक बहुमूल्य संसाधन है, और इसलिए, जैव विविधता के संरक्षण का संबंध मनुष्यों और वातावरण के बीच संतुलन बहाल करने से है। जैव विविधता पार्कों की महत्वपूर्ण भूमिका में शामिल हैं:
- शहर की प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के लिए एक प्रकृति आरक्षित
- शहरी पर्यावरण की गुणवत्ता में वृद्धि
- शिक्षा, सांस्कृतिक और संरक्षण गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करना
- जैव विविधता को शहर और लोगों से जोड़ना
- ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना
- स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का सृजन
- क्षेत्र के दुर्लभ स्थानिक और संकटग्रस्त पौधों और जानवरों की प्रजातियों का संरक्षण।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टेकअवे:
- हिमाचल प्रदेश की राजधानी: शिमला (ग्रीष्मकालीन), धर्मशाला (शीतकालीन);
- हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल: राजेंद्र अर्लेकर;
- हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री: जय राम ठाकुर।