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पीएम मोदी के 128वें “मन की बात” (30 नवंबर 2025) के मुख्य अंश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 नवंबर 2025 को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 128वें संस्करण को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान नवंबर माह में देश में हुए कई महत्वपूर्ण विकास और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये सभी उपलब्धियां राष्ट्र और इसके नागरिकों की हैं और ‘मन की बात’ एक ऐसा मंच है जो सार्वजनिक प्रयासों और सामूहिक योगदान को सामने लाता है।

प्रधानमंत्री ने कृषि से लेकर एयरोस्पेस, प्राकृतिक खेती से लेकर विंटर टूरिज़्म और सांस्कृतिक धरोहर से लेकर जमीनी नवाचार तक अनेक विषयों पर अपने विचार साझा किए। इस संबोधन में उन्होंने देश की हालिया उपलब्धियों का उल्लेख किया, विभिन्न क्षेत्रों में उभरती प्रेरणादायक सफलताओं को रेखांकित किया, और नागरिकों से स्थानीय उद्यम, सतत विकास तथा आत्मनिर्भर व्यवहार अपनाने का आह्वान किया। प्रस्तुत विवरण इस प्रसारण में दिए गए प्रमुख संदेशों और घोषणाओं का समेकित सार है।

प्रमुख घोषणाएँ और राष्ट्रव्यापी उपलब्धियाँ

ऐतिहासिक खाद्यान्न उत्पादन: 357 मिलियन टन

भारत ने 2025 में एक महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया — कुल 357 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन, जो पिछले एक दशक में 100 मिलियन टन की वृद्धि को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इसे देश की कृषि क्षमता और खाद्य-सुरक्षा मॉडल की मजबूती का प्रमाण बताया।

भारत के एयरोस्पेस और स्पेस इकोसिस्टम को बढ़ावा

प्रधानमंत्री ने हैदराबाद में स्कायरूट एयरोस्पेस के अत्याधुनिक “इन्फिनिटी कैंपस” का उद्घाटन किया। यह केंद्र नियमित रूप से ऑर्बिटल-क्लास रॉकेट के डिजाइन, निर्माण और परीक्षण के लिए समर्पित है। यह पहल भारत में निजी क्षेत्र-निर्देशित अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती देती है और भारतीय युवाओं तथा नवाचार क्षमता पर विश्वास को दर्शाती है।

रक्षा क्षेत्र में आईएनएस माहे को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने का उल्लेख किया गया, जो भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा क्षमताओं को और सशक्त बनाता है।

प्राकृतिक खेती, वानिकी और मधुमक्खी-पालन का विस्तार — ग्रामीण एवं पर्यावरण-अनुकूल कृषि को बढ़ावा

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि दक्षिण भारत में विशेष रूप से युवाओं और शिक्षित किसानों के बीच प्राकृतिक खेती की ओर रुझान तेज़ी से बढ़ रहा है। यह न केवल पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धति है, बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी स्थिरता प्रदान करती है।

साथ ही, ‘हनी मिशन’ की अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला गया —

  • शहद उत्पादन पिछले 11 वर्षों में 76,000 टन से बढ़कर 1.5 लाख टन से अधिक हो गया है।

  • शहद निर्यात में तीन गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

  • अब तक 2.25 लाख से अधिक बी-बॉक्स वितरित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हज़ारों लोगों को रोजगार और आय का स्रोत मिला है।

नगालैंड की जनजातियों द्वारा चट्टानों पर चढ़कर पारंपरिक तरीकों से की जाने वाली क्लिफ-हनी हार्वेस्टिंग जैसी प्राचीन विधियों का भी उल्लेख किया गया, जो भारत की जैव-विविधता और सतत आजीविका परंपराओं को दर्शाती हैं।

संस्कृति, विरासत और समावेशन — महाभारत से लेकर तमिल-काशी संगमम् तक

प्रधानमंत्री ने कुरुक्षेत्र स्थित 3D महाभारत एक्सपीरियंस सेंटर जैसे सांस्कृतिक स्थलों के दौरे साझा किए और भारतीय परंपरा तथा कथा-संस्कृति की वैश्विक लोकप्रियता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने घोषणा की कि तमिल-काशी संगमम् का चौथा संस्करण 2 दिसंबर से नमो घाट, काशी में आयोजित होगा। इस वर्ष की थीम है — “Learn Tamil – Tamil Karakalam”
इस आयोजन का उद्देश्य सांस्कृतिक एकता और आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जो “एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की भावना को जीवंत बनाता है।

“वोकल फ़ॉर लोकल” और स्वदेशी शिल्पों का पुनर्जीवन

भारत की समृद्ध शिल्प-परंपरा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने “वोकल फ़ॉर लोकल” के मंत्र को दोहराया। उन्होंने बताया कि हाल के G20 सम्मेलन में विश्व नेताओं को दिए गए उपहार—चोल कालीन कांस्य मूर्तियाँ से लेकर राजस्थान की धातु-कला तक—ने भारतीय कारीगरों की प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि विशेषकर आने वाले त्योहारी मौसम में भारतीय-निर्मित उत्पादों को प्राथमिकता दें, जिससे ग्रामीण कारीगरों को सहयोग मिलेगा और देश की घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

उभरते खेल, पर्यटन और युवाशक्ति: विंटर टूरिज़्म, एंड्यूरेंस स्पोर्ट्स और एडवेंचर

प्रधानमंत्री के संबोधन में उत्तराखंड में विंटर टूरिज़्म की बढ़ती लोकप्रियता को विशेष रूप से रेखांकित किया गया—औली, मुनस्यारी, चोपता और दयारा जैसे स्थल तेजी से प्रमुख गंतव्य बन रहे हैं। हाल ही में आदि कैलाश में आयोजित उच्च-ऊंचाई अल्ट्रा-रन मैराथन में 750 एथलीटों की भागीदारी हुई, और आगामी विंटर गेम्स से पहले हिम-खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। “स्नो स्पोर्ट्स + डेस्टिनेशन वेडिंग + एडवेंचर टूरिज़्म” का प्रेरणादायक मॉडल नए पर्यटन अवसरों और आजीविका के साधन तैयार करने की क्षमता रखता है।

प्रधानमंत्री ने देश में तेजी से विकसित होती धीरज-आधारित और रोमांचक खेल संस्कृति का भी उल्लेख किया—मैराथन, ट्रायथलॉन (तैराकी, साइक्लिंग, दौड़) और “Fit India Sundays” जैसे साइक्लिंग कार्यक्रम युवाओं में फिटनेस, सक्रिय भागीदारी और एक मजबूत खेल-संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।

आधारभूत संदेश और आगे की दिशा

युवा शक्ति, नवाचार और जोखिम-लेने की क्षमता पर विश्वास:
चाहे अंतरिक्ष क्षेत्र में स्कायरूट जैसी उपलब्धियाँ हों, प्राकृतिक खेती का विस्तार हो या एडवेंचर स्पोर्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता—प्रधानमंत्री का संदेश था कि युवा भारत साहसिक कदम उठा रहा है और भविष्य का नेतृत्व कर रहा है।

सततता, आत्मनिर्भरता और स्थानीय सशक्तिकरण:
कृषि-वृद्धि, हनी मिशन, प्राकृतिक खेती और शिल्प पुनर्जीवन जैसे विषयों के माध्यम से आत्मनिर्भरता, पर्यावरणीय संतुलन और ग्रामीण-आधारित आर्थिक विकास का विज़न पुनः रेखांकित किया गया।

सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सद्भाव:
काशी-तमिल संगम, ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ और प्रवासी भारतीयों से जुड़ी सांस्कृतिक पहलों के माध्यम से विविधता में एकता, सांस्कृतिक समन्वय और वैश्विक स्तर पर भारतीय विरासत के विस्तार पर बल दिया गया।

उपलब्धियों का उत्सव और समावेशी राष्ट्रीय गौरव:
रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, विश्व-स्तरीय अंतरिक्ष व एयरोस्पेस अवसंरचना, बढ़ता निर्यात, और जमीनी स्तर पर आजीविका बढ़ाने वाली पहलों जैसे उदाहरणों से यह संदेश दिया गया कि यह सफलताएँ पूरे राष्ट्र की साझा उपलब्धियाँ हैं।

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