तिब्बती बौद्ध धर्म का एक जीवंत उत्सव हेमिस महोत्सव हर साल भारत के लद्दाख में आयोजित किया जाता है। 2024 में यह महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम 16 और 17 जून को आयोजित किया जाएगा।
हेमिस फेस्टिवल, जिसे हेमिस त्सेचु के नाम से भी जाना जाता है, तिब्बती बौद्ध धर्म में पूज्य गुरु पद्मसंभव की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दो दिवसीय उत्सव लद्दाख के सबसे बड़े बौद्ध मठ हेमिस मठ को रंग, संगीत और आध्यात्मिक ऊर्जा से जीवंत कर देता है।
इस उत्सव का मुख्य आकर्षण चाम नृत्य है, जो गुरु पद्मसंभव के आठ अवतारों का प्रतिनिधित्व करने वाले रंगीन मुखौटे पहने भिक्षुओं द्वारा किया जाता है। यह पवित्र नृत्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
गुरु पद्मसंभव, जिन्हें गुरु रिनपोछे के नाम से भी जाना जाता है, ने 8वीं शताब्दी में हिमालय क्षेत्र में तांत्रिक बौद्ध धर्म की शुरुआत की। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने:
आगंतुक ये कर सकते हैं:
हेमिस फेस्टिवल आमतौर पर शांत रहने वाले लद्दाख को गतिविधि और रंग के केंद्र में बदल देता है। यह क्षेत्र की समृद्ध बौद्ध संस्कृति की एक दुर्लभ झलक पेश करता है और दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करता है।
हेमिस महोत्सव लद्दाख में सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध उत्सवों में से एक है। इस त्यौहार पर लोग मुखौटा पहनकर नाचते-गाते हैं। हेमिस त्यौहार का मुख्य आकर्षण लामाओं द्वारा किया जाने वाला अनोखा मुखौटा नृत्य है।
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