हैली गुब्बी ज्वालामुखी: लोकेशन, इतिहास और हाल की एक्टिविटी

इथियोपिया का हैली गुब्बी ज्वालामुखी लगभग 12,000 वर्षों बाद पहली बार फटने पर अचानक वैश्विक चर्चा का केंद्र बन गया। इस शक्तिशाली विस्फोट ने आकाश में बेहद ऊँचे राख के बादल भेजे, जो आसपास के देशों तक फैल गए, जिससे वैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों—दोनों को—काफी आश्चर्य हुआ।

हैली गुब्बी का स्थान

हैली गुब्बी, उत्तर-पूर्वी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित है। यह अदिस अबाबा से लगभग 800 किमी (500 मील) दूर और एरीट्रिया की सीमा के पास है। लगभग 500 मीटर ऊँचा यह ज्वालामुखी रिफ्ट वैली में स्थित है, जो एक प्रमुख भू-वैज्ञानिक क्षेत्र है जहाँ दो टेक्टोनिक प्लेटें धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूर खिसक रही हैं। यह इलाका भूकंप और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

हजारों वर्षों की शांति

हजारों वर्षों तक हैली गुब्बी को निष्क्रिय माना जाता था। स्मिथसोनियन ग्लोबल वोल्केनिज़्म प्रोग्राम और अन्य विशेषज्ञों के अनुसार, होलोसीन काल (पिछले 12,000 वर्ष) में इस ज्वालामुखी के फटने का कोई दर्ज इतिहास नहीं था। इसी कारण वर्ष 2025 का अचानक विस्फोट वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा आश्चर्य था।

2025 का विस्फोट

नवंबर 2025 के एक रविवार को ज्वालामुखी कई घंटों तक फटा। विशाल राख के बादल 14 किमी (9 मील) की ऊँचाई तक उठे।

टूलूज़ वोल्कैनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर के अनुसार, यह राख लाल सागर पार करके यमन, ओमान, भारत और उत्तरी पाकिस्तान तक फैल गई।

स्थानीय समुदायों पर प्रभाव

सौभाग्य से, किसी की मौत या चोट की सूचना नहीं मिली। फिर भी, कई गाँव राख की मोटी परत से ढक गए। चूँकि क्षेत्र के अधिकांश लोग पशुपालन पर निर्भर हैं, इसलिए राख से ढकी भूमि ने उनके पशुओं के चारे को प्रभावित किया, जिससे भविष्य में आय और जीविका को लेकर चिंता बढ़ गई।

क्षेत्र के लोगों की प्रतिक्रियाएँ

कुछ निवासियों ने तेज विस्फोट जैसी आवाज़ और झटके महसूस किए। एक निवासी ने बताया कि ऐसा लगा जैसे “अचानक कोई बम फट गया हो,” जिसके तुरंत बाद घना धुआँ और राख आसमान में उठने लगी। ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो में ज्वालामुखी से उठती मजबूत सफेद धुएँ की लपटें दिखीं, हालांकि कुछ की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी।

वैज्ञानिक पुष्टि

ज्वालामुखी विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि की कि हैली गुब्बी में हजारों वर्षों से कोई दर्ज विस्फोट नहीं हुआ था। मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ साइमन कार्न जैसे वोल्केनोलॉजिस्टों ने बताया कि इस ज्वालामुखी का होलोसीन काल में कोई ज्ञात विस्फोट रिकॉर्ड पर नहीं था, जिससे 2025 का यह विस्फोट और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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vikash

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