प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर के ललटिपारा में भारत की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला, आदर्श गौशाला, का उद्घाटन किया। इस गौशाला में अत्याधुनिक कंप्रेस्ड बायो-गैस (CBG) संयंत्र है, जो भारत के सतत विकास और हरित ऊर्जा समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के “कचरे से कंचन” (Waste to Wealth) के दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें जैविक कचरे को मूल्यवान संसाधनों में बदलने की क्षमता है।
आधुनिक गौशाला: एक नई दृष्टि के साथ
आदर्श गौशाला का संचालन ग्वालियर नगर निगम द्वारा किया जाता है और इसमें 10,000 से अधिक मवेशी हैं। यह गौशाला आत्मनिर्भर मॉडल के रूप में उभरती है, जहां गोबर और जैविक कचरे का उपयोग कर कंप्रेस्ड बायोगैस और जैविक खाद का उत्पादन किया जाता है।
गौशाला की मुख्य विशेषताएं
कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) संयंत्र:
- प्रतिदिन 100 टन गोबर का प्रसंस्करण।
- 2-3 टन कंप्रेस्ड बायो-CNG का दैनिक उत्पादन।
जैविक खाद का उत्पादन:
- प्रतिदिन 10-15 टन सूखी जैविक खाद का उत्पादन, जो जैविक खेती के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
सतत कचरा प्रबंधन:
- स्थानीय बाजारों और घरों से सब्जी व फल कचरे को एकत्र कर बायोगैस का उत्पादन।
- कचरे को प्रोसेस करने के लिए विंडरो कम्पोस्टिंग जैसी सुविधाओं का समावेश।
परियोजना का तकनीकी और आर्थिक विवरण
भारतीय तेल निगम के साथ साझेदारी:
इस परियोजना को ग्वालियर नगर निगम और भारतीय तेल निगम के बीच साझेदारी में 31 करोड़ रुपये के निवेश के साथ विकसित किया गया है। 5 एकड़ में फैली यह सुविधा सार्वजनिक-निजी भागीदारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
दैनिक उत्पादन:
- कंप्रेस्ड बायोगैस (Bio-CNG): 2-3 टन।
- सूखी जैविक खाद: 10-15 टन।
जलवायु और पर्यावरण में योगदान
कार्बन उत्सर्जन में कमी:
यह संयंत्र गोबर से ऊर्जा उत्पादन करके ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करता है और जीवाश्म ईंधनों की आवश्यकता को प्रतिस्थापित करता है।
हरित ऊर्जा को बढ़ावा:
बायो-CNG एक स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है, जो वायु प्रदूषण और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करता है।
आर्थिक और सामाजिक लाभ
जैविक खेती को प्रोत्साहन:
इस संयंत्र से उत्पादित जैविक खाद किसानों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जाती है, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होता है।
रोजगार और कौशल विकास:
यह परियोजना स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करती है, साथ ही हरे ऊर्जा तकनीकों में कौशल विकास को प्रोत्साहित करती है।
भविष्य के लिए एक मॉडल
अनुकरणीय मॉडल:
ललटिपारा का यह संयंत्र सतत विकास में एक विश्वस्तरीय मानक स्थापित करता है। यह अन्य क्षेत्रों के लिए कचरा प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का अनुकरणीय मॉडल प्रदान करता है।