गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है जिसने “आदिवासी जीनोम अनुक्रमण परियोजना” (Tribal Genome Sequencing Project) की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य है—आदिवासी समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना, अनुवांशिक अनुसंधान के माध्यम से रोगों की प्रारंभिक पहचान करना, और व्यक्तिगत चिकित्सा समाधान विकसित करना।
पृष्ठभूमि:
इस परियोजना की घोषणा गुजरात के आदिवासी विकास मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर ने गांधीनगर में एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान की। यह परियोजना गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (GBRC) द्वारा विभिन्न राज्य विभागों और विशेषज्ञों के सहयोग से लागू की जा रही है। इसे वर्ष 2025–26 के गुजरात राज्य बजट में स्वीकृति प्रदान की गई है।
महत्त्व:
भारत की आदिवासी जनसंख्या लंबे समय से अनुवांशिक शोधों में उपेक्षित रही है। यह परियोजना उस अंतर को पाटने का कार्य करती है, जिससे वैज्ञानिक नवाचारों को आदिवासी कल्याण से जोड़ा जा सके। इसके माध्यम से आदिवासी समुदायों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से सशक्त किया जा सकेगा, जो समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उद्देश्य:
17 ज़िलों के 2,000 आदिवासी व्यक्तियों के जीनोम का अनुक्रमण करना
सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, कैंसर आदि बीमारियों से जुड़े आनुवंशिक संकेतकों की पहचान
भविष्य के चिकित्सीय शोध के लिए संदर्भ जीनोम डाटाबेस तैयार करना
व्यक्तिगत दवा समाधान और रोगों की प्रारंभिक चिकित्सा हस्तक्षेप को संभव बनाना
प्रमुख विशेषताएं:
GBRC द्वारा अत्याधुनिक जीनोमिक तकनीकों से परियोजना का संचालन
शारीरिक नमूने एकत्र करना, डेटा विश्लेषण और आनुवंशिक व्याख्या शामिल
भारत की आदिवासी जनजातियों से संबंधित विशिष्ट वैज्ञानिक डेटा का सृजन
वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों के सहयोग से अंतरविषयी समन्वय को बढ़ावा
प्रभाव:
यह परियोजना आदिवासी समुदायों में बीमारियों की समय रहते पहचान, लक्षित उपचार और स्वास्थ्य असमानताओं को कम करने में सहायक होगी। साथ ही, यह नीति निर्माण, अकादमिक अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना में जीनोमिक्स की भूमिका को मज़बूत बनाएगी। यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बनेगा और भारत में समावेशी स्वास्थ्य अनुसंधान को नई दिशा देगा।
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