वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद भारत में जीएसटी से संबंधित मामलों की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इसे 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से अनुच्छेद 279A के तहत स्थापित किया गया था, ताकि पूरे देश में एक समान कर संरचना लागू की जा सके। एक संवैधानिक निकाय के रूप में परिषद सहकारी संघवाद को सुनिश्चित करती है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर जीएसटी की नीतियों, दरों, छूटों और प्रशासन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं।
जीएसटी परिषद की शक्तियाँ सीधे संविधान से प्राप्त होती हैं। मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं –
परिषद का गठन – अनुच्छेद 279A(1) राष्ट्रपति को निर्देश देता है कि संशोधन लागू होने के 60 दिनों के भीतर परिषद का गठन करें।
कर लगाने की सिफारिशें – अनुच्छेद 279A(5) परिषद को यह सुझाव देने की शक्ति देता है कि पेट्रोलियम, डीज़ल और विमानन ईंधन जैसे उत्पादों पर कब जीएसटी लगाया जाए।
मार्गदर्शक सिद्धांत – अनुच्छेद 279A(6) यह सुनिश्चित करता है कि परिषद की सिफारिशें राष्ट्रीय बाजार को एकीकृत करें।
प्रक्रियात्मक अधिकार – अनुच्छेद 279A(8) परिषद को अपनी प्रक्रियाएँ निर्धारित करने का अधिकार देता है।
निर्णयों की वैधता – अनुच्छेद 279A(10) के अनुसार, यदि कोई रिक्ति या प्रक्रियागत त्रुटि हो तो भी निर्णय वैध माने जाएंगे।
विवाद समाधान – अनुच्छेद 279A(11) परिषद को केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी विवादों का समाधान करने का अधिकार देता है।
परिषद में केंद्र और राज्यों का संतुलित प्रतिनिधित्व होता है –
अध्यक्ष – केंद्रीय वित्त मंत्री
उपाध्यक्ष – राज्यों के वित्त मंत्रियों में से चुना जाता है
सदस्य – केंद्र के वित्त/राजस्व राज्य मंत्री
सदस्य – प्रत्येक राज्य के वित्त/कर मंत्री (या उनके नामित प्रतिनिधि)
स्थायी आमंत्रित – केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष (बिना मतदान अधिकार)
कार्यकारी सचिव – केंद्रीय राजस्व सचिव
अनुच्छेद 279A(4) के अंतर्गत परिषद के मुख्य कार्य हैं –
करों का विलय – ऐसे करों की पहचान करना जिन्हें जीएसटी के तहत समाहित किया जाना है।
वस्तु और सेवाएँ – यह तय करना कि किन वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगेगा या छूट दी जाएगी।
मॉडल कानून – अंतर्राज्यीय व्यापार (अनुच्छेद 269A) के लिए मॉडल कानून और सिद्धांत बनाना।
सीमाएँ – जीएसटी छूट के लिए कारोबार की सीमा तय करना।
जीएसटी दरें – मानक, न्यूनतम और अधिकतम दरों की सिफारिश करना।
विशेष दरें – प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में अतिरिक्त कर दरों का सुझाव देना।
विशेष प्रावधान – पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष प्रावधान करना।
अन्य विषय – जीएसटी के क्रियान्वयन और प्रशासन से जुड़े अन्य मुद्दों पर सिफारिशें देना।
परिषद सहकारी संघवाद पर आधारित है, जहाँ केंद्र और राज्य दोनों की समान भागीदारी होती है –
कोरम – कम से कम आधे सदस्य उपस्थित होने चाहिए।
निर्णय लेना – तीन-चौथाई (75%) बहुमत से निर्णय लिए जाते हैं।
मतदान का भार –
केंद्र सरकार का मत – कुल का 1/3
राज्यों का सामूहिक मत – कुल का 2/3
जीएसटी परिषद ने गठन से अब तक कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं –
द्वि-स्तरीय जीएसटी मॉडल अपनाना, जिसमें केंद्र (CGST) और राज्य (SGST) दोनों कर लगाते हैं।
वस्तुओं और सेवाओं का वर्गीकरण कर स्लैब्स में करना।
ऑनलाइन अनुपालन प्रणाली शुरू करना, जिसमें रिटर्न और भुगतान डिजिटल रूप से किए जाते हैं।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लागू करना ताकि दोहरे कराधान की समस्या दूर हो।
कंपोज़िशन योजना लाना ताकि छोटे व्यापारियों को सुविधा हो।
दर सुधार कर उपभोक्ताओं पर बोझ कम करना।
नियमित परिवर्तन करके उपयुक्त समय पर राहत और स्पष्टता प्रदान करना।
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