भारत तटीय सीमाओं की निगरानी के लिए नई तकनीकों को अपना रहा है। इसी क्रम में भारतीय नौसेना के लिए दूसरी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘एंड्रोथ’ हुगली नदी में लॉन्च की गई। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स भारतीय नौसेना के लिए आठ वाटर क्राफ्ट का निर्माण कर रहा है। ये ‘साइलेंट हंटर्स’ भारतीय नौसेना को सौंप दिए जाने पर तटीय सीमाओं पर दुश्मनों की पनडुब्बियों का पता लगाने में आसानी होगी। NS Androth को 50 चालक दल के सदस्यों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने के लिए अत्याधुनिक संचार प्रणालियों, रडार और सोनार से लैस है। जहाज में एक स्टील्थ डिज़ाइन भी है जो इसके ध्वनिक हस्ताक्षर को कम करता है, जिससे पानी के नीचे का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
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भारतीय नौसेना के लिए आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट का निर्माण किया जा रहा है। ‘साइलेंट हंटर्स’ के नाम से प्रसिद्ध इन एंटी-सबमरीन वारफेयर को भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा, जिससे तटीय सीमाओं पर दुश्मनों की पनडुब्बियों का पता लगाने में आसानी होगी। ये ‘साइलेंट हंटर्स’ तटीय जल के साथ-साथ ऊपरी सतह की निगरानी, खोज और हमला करने में सक्षम हैं। 77.6 मीटर लंबे और 10.5 मीटर चौड़े ये एंटी-सबमरीन वारफेयर तीन डीजल चालित जेट वाटर द्वारा संचालित हैं। भारतीय नौसेना के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में 8 एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट कॉर्वेट बनाए जा रहे हैं। भारतीय नौसेना की 2026 तक सभी 8 जहाजों को सक्रिय सेवा में शामिल करने की योजना है। जीआरएसई में निर्मित इसी परियोजना की दूसरी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘एंड्रोथ’ को कोलकाता में लॉन्च किया गया।
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