भारत में हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome) की जांच होने वाली है. बेंगलुरु के रहने वाले एक शख्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर देश में इसकी रोकथाम को लेकर इनक्वायरी की मांग की थी. जांच में इस रहस्यमयी बीमारी के फैलने के बारे में पता लगाया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर देश में सिंड्रोम की संभावना की जांच करने का निर्देश दिया है.
हवाना सिंड्रोम को डिकोड करना: एक दिलचस्प पहेली
हवाना सिंड्रोम, एक शब्द जिसने दुनिया भर में ध्यान आकर्षित किया है, यह मुख्य रूप से विभिन्न देशों में तैनात संयुक्त राज्य खुफिया और दूतावास कर्मियों द्वारा सामना किए गए मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लक्षणों के एक संग्रह को संदर्भित करता है। इन लक्षणों में बाहरी शोर के अभाव में श्रवण संवेदनाएं, चक्कर आना, मिचली आना, सिरदर्द, याददाश्त में कमी और संतुलन संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
क्या है हवाना सिंड्रोम?
दरअसल, हवाना सिंड्रोम कई बीमारियों का एक समूह है, जिसमें चक्कर आना, मतली या फिर एक आंख में अंधापन होने जैसी समस्याएं शामिल हैं। इस बीमारी के मामले भारत से पहले भी कई बार अन्य देशों जैसे तजाकिस्तान, वॉशिंगटन डीसी, कोलंबिया और ऑस्ट्रिया समेत 130 देशों में देखे जा चुके हैं। अच्छी खासी संख्या में लोग इस समस्या से प्रभावित भी हैं।
साल 2016 में मिला था पहला मामला
इस बीमारी का सबसे पहला मामला साल 2016 में कैरेबियन की राजधानी हवाना से सामने आया था। यूएस एंबेसी के CIA के अधिकारी को पहली बार यह समस्या हुई थी। इसके बाद यह बीमारी दुनियाभर में अपने पैर पसारती गई। साल 2018 में चीन में अमेरिकी राजनयिकों ने इस बीमारी होने का बात कही थी। वहीं, साल 2019 और 20 में वॉशिंगटन डीसी में भी इसके कुछ मामलों की पहचान की गई थी। भारत में इस बीमारी का अभी तक केवल एक ही मामला दर्ज किया गया है, जिसकी पुष्टि साल 2021 में की गई थी। अब इसे फैलने या फिर बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 3 महीनों के भीतर इसकी जांच करेगा। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में US अधिकारियों ने रूस, पोलैंड, जॉर्जिया, ताइवान, कोलंबिया, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ऑस्ट्रिया समेत दुनिया भर में 130 से ज्यादा ऐसी घटनाओं की सूचना दी है।