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वस्तु एवं सेवा कर दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर वर्ष 1 जुलाई को भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) दिवस मनाया जाता है, जो देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक की शुरुआत की याद दिलाता है। 1 जुलाई 2017 को लागू किए गए GST ने कई अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर एक एकीकृत कर प्रणाली के रूप में पूरे भारतीय बाजार को एक सूत्र में बांध दिया। इस प्रणाली के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की अवधारणा को साकार किया गया। GST दिवस की शुरुआत 2018 में इसकी पहली वर्षगांठ के रूप में की गई थी, और तब से यह दिन भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता, सरलता और एकरूपता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

GST क्या है?

वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक व्यापक और गंतव्य-आधारित अप्रत्यक्ष कर है, जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। यह एक ऐसा एकल कर है जो पूरी आपूर्ति श्रृंखला में लागू होता है — निर्माता से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक — और प्रत्येक चरण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा प्रदान करता है।

इसका अर्थ है कि GST वास्तव में केवल मूल्य वर्धन (value addition) पर कर है, क्योंकि व्यवसाय अपने खरीदे गए इनपुट्स पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट ले सकते हैं। अंततः यह कर केवल उपभोक्ता पर लागू होता है, जिसे आपूर्ति श्रृंखला के अंतिम विक्रेता द्वारा वसूला जाता है। चूंकि यह उपभोग आधारित कर है, इसलिए GST से प्राप्त राजस्व उस राज्य को मिलता है जहां वस्तु या सेवा का वास्तविक उपभोग होता है।

भारत में GST का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

GST (वस्तु एवं सेवा कर) की अवधारणा पहली बार वर्ष 2000 में सामने आई थी, जब उस समय के प्रधानमंत्री के तहत एक समिति का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य GST मॉडल का मसौदा तैयार करना था। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत की जटिल और बहु-स्तरीय कर प्रणाली को सरल बनाना था, जो देश की आर्थिक क्षमता को बाधित कर रही थी। GST लागू करने का विचार इस विश्वास पर आधारित था कि एक एकीकृत कर व्यवस्था से न केवल कर संग्रहण में पारदर्शिता आएगी, बल्कि व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

GST का विकास क्रम 

  • 2000: GST ढांचे का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया।

  • 2006: तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट भाषण में पहली बार GST लागू करने का प्रस्ताव रखा।

  • 2009: GST पर पहला परिचर्चा पत्र (Discussion Paper) जारी किया गया।

  • 2011: संविधान (115वां संशोधन) विधेयक संसद में पेश किया गया।

  • 2014: संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पुनः पेश किया गया और 2015 में पारित हुआ।

  • अगस्त 2016: संसद ने संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम पारित किया, जिससे GST लागू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

  • सितंबर 2016: GST परिषद (GST Council) का गठन किया गया।

  • मई 2017: GST परिषद ने GST से संबंधित नियमों और कर दरों को अंतिम रूप दिया।

  • 1 जुलाई 2017: GST पूरे भारत में आधिकारिक रूप से लागू किया गया।

  • 1 जुलाई 2018: पहली बार “GST दिवस” मनाया गया।

GST की प्रमुख विशेषताएँ

  1. एक देश, एक कर (One Nation, One Tax):
    GST ने केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर लगने वाले कई अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सेवा कर (Service Tax), मूल्य वर्धित कर (VAT), प्रवेश कर (Entry Tax) आदि को समाप्त कर दिया। इससे करों के दोहराव (Cascading Effect) से मुक्ति मिली और पूरे भारत में एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बना।

  2. द्वि-स्तरीय GST मॉडल (Dual GST Model):
    भारत में GST एक द्वि-स्तरीय प्रणाली है:

    • CGST (Central GST): केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।

    • SGST (State GST): संबंधित राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है।

    • IGST (Integrated GST): दो राज्यों के बीच होने वाले लेन-देन पर लगाया जाता है और इसे केंद्र एकत्र करता है, फिर राज्यों में बाँटता है।

  3. गंतव्य आधारित कर प्रणाली (Destination-Based Taxation):
    GST उस राज्य को प्राप्त होता है जहाँ वस्तु या सेवा का उपभोग होता है, न कि जहाँ वह उत्पादित होती है। इससे उपभोग राज्य को राजस्व प्राप्त होता है।

  4. इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit – ITC):
    GST की एक प्रमुख विशेषता है कि व्यवसाय अपने इनपुट पर दिए गए कर का क्रेडिट ले सकते हैं। इससे कर का कुल बोझ घटता है और टैक्स ऑन टैक्स की समस्या समाप्त होती है।

  5. सीमा छूट एवं संरचना योजना (Threshold Exemption & Composition Scheme):
    छोटे कारोबारियों को एक निर्धारित सीमा (₹20 लाख / ₹40 लाख तक) तक GST से छूट मिलती है।
    ₹1.5 करोड़ से कम वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारी ‘संरचना योजना’ (Composition Scheme) के अंतर्गत एक निश्चित दर से कर देकर सरल अनुपालन कर सकते हैं।

  6. ऑनलाइन अनुपालन प्रणाली (Online Compliance via GSTN):
    पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना, कर भुगतान आदि सभी कार्य GST नेटवर्क (GSTN) के माध्यम से ऑनलाइन होते हैं, जिससे पारदर्शिता और सुविधा बढ़ती है।

  7. मुनाफाखोरी विरोधी उपाय (Anti-Profiteering Measures):
    उपभोक्ताओं तक कम कर दरों का लाभ पहुँचाने के लिए ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ (NAA) की स्थापना की गई है, जो अनुचित लाभार्जन की निगरानी करता है।

  8. पारदर्शिता और बढ़ा अनुपालन (Transparency and Increased Compliance):
    GST प्रणाली में पैन (PAN) और आधार से लिंकिंग तथा डिजिटल रिकॉर्ड्स के माध्यम से कर चोरी पर रोक लगी है और जवाबदेही बढ़ी है।

  9. विशेष क्षेत्रों को छूट (Sector-Specific Exemptions):
    स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा जैसे आवश्यक क्षेत्रों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से GST से छूट दी गई है ताकि ये सेवाएँ सस्ती बनी रहें।

  10. केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व संतुलन (Account Settlement Between Centre and States):
    केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का संतुलन बनाए रखने के लिए मुआवजा और क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था की गई है, जिससे संघीय ढांचे को मजबूती मिलती है।

GST दर संरचना (2025 तक की स्थिति – हिंदी में):

भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को पाँच प्रमुख स्लैब्स में विभाजित किया गया है:

  1. 0% (शून्य कर दर):

    • आवश्यक वस्तुओं पर लागू

    • जैसे: ताजे फल, सब्जियाँ, अनाज, दूध आदि

  2. 5% (न्यूनतम कर दर):

    • आम जन उपभोग की वस्तुओं पर

    • जैसे: चीनी, चाय, कॉफी (ब्रांडेड नहीं), घरेलू उपयोग की दवाइयाँ आदि

  3. 12% और 18% (मध्यम कर दर):

    • अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ इन श्रेणियों में आती हैं

    • जैसे: वस्त्र, घरेलू उपकरण, रेस्तरां सेवाएँ, मोबाइल फोन, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि

  4. 28% (उच्चतम कर दर):

    • विलासिता की वस्तुएँ और हानिकारक वस्तुएँ (Demerit goods)

    • जैसे: एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, ऑटोमोबाइल्स, पेंट्स, सीमेंट आदि

  5. मुआवजा उपकर (Compensation Cess):

    • पापवस्तुओं (Sin goods) पर अतिरिक्त कर

    • जैसे: तंबाकू उत्पाद, एरेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स), लक्ज़री कारें

    • इसका उपयोग राज्यों को GST लागू होने से हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है।

सरकार वर्तमान में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाने के लिए तीन-दर संरचना (Three-Rate Structure) की दिशा में कार्य कर रही है। प्रस्तावित योजना के तहत मौजूदा पाँच कर स्लैब्स (0%, 5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर तीन प्रमुख कर दरों में समायोजित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक सुगम बनाना, अनुपालन की जटिलता को कम करना, और करदाताओं के लिए स्पष्टता सुनिश्चित करना है। इससे कर संग्रहण में पारदर्शिता बढ़ेगी, कर विवादों की संभावना घटेगी और कारोबारियों को योजना बनाने में सहूलियत मिलेगी। यह प्रस्ताव निकट भविष्य में GST प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है।

जीएसटी राजस्व के आधार पर शीर्ष 10 राज्य (अप्रैल 2025)

अप्रैल 2025 में भारत के वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रहण ने अब तक का सर्वोच्च स्तर छूते हुए ₹2.37 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.6% की वृद्धि दर्शाता है। नीचे अप्रैल 2025 में सर्वाधिक GST संग्रह करने वाले शीर्ष 10 राज्यों की सूची दी गई है:

रैंक राज्य GST संग्रहण (करोड़ में)
1 महाराष्ट्र 41,645
2 कर्नाटक 17,815
3 गुजरात 14,970
4 हरियाणा 14,057
5 तमिलनाडु 13,831
6 उत्तर प्रदेश 13,600
7 पश्चिम बंगाल 8,188
8 तेलंगाना 6,983
9 राजस्थान 6,228
10 आंध्र प्रदेश 4,686

GST का महत्व 

वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव डाला है। इसने कर व्यवस्था को सरल बनाया, कारोबार को बढ़ावा दिया और कराधान प्रणाली को एकीकृत किया।

MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) क्षेत्र पर प्रभाव

  • कर प्रणाली को सरल बनाकर अनुपालन आसान हुआ।

  • अधिक व्यवसायों का औपचारिक क्षेत्र में आना सुनिश्चित हुआ।

  • अंतरराज्यीय व्यापार व परिवहन की प्रक्रिया सरल हुई।

  • MSMEs को वित्त और पूंजी तक पहुंच में सुविधा मिली।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

  • औसत कर भार में कमी आई।

  • अनाज, चीनी, खाद्य तेल, स्नैक्स आदि दैनिक वस्तुओं की कीमतें घटीं।

  • मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता बढ़ी।

  • मासिक घरेलू खर्च में अनुमानित 4% की बचत हुई।

लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर प्रभाव

  • चेक-पोस्ट हटने से यात्रा समय में कमी आई।

  • गोदाम संचालन और आपूर्ति श्रृंखला अधिक सुव्यवस्थित हुई।

  • क्षेत्र में निवेश और आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिला।

GST: एक निरंतर विकसित होती सुधार प्रक्रिया

GST ने भारतीय कर प्रणाली को क्रांतिकारी रूप से बदला है, फिर भी यह सुधार की यात्रा में है। दरों के सरलीकरण, डिजिटल बुनियादी ढांचे के सशक्तिकरण और अनुपालन प्रणाली को सुलभ बनाने की दिशा में केंद्र सरकार और GST परिषद लगातार कार्यरत हैं, जिससे यह प्रणाली और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी बन सके।

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