कोअलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) की द्विवार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन की वजह से मौजूदा समय में मूल अवसंरचना क्षेत्र को दुनिया में हर साल औसतन क्षति (एएएल) 301 से 330 अरब अमेरिकी डॉलर की हो रही है। सीडीआरआई ने एक द्विवार्षिक रिपोर्ट जारी की है जिसमें जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के बिगड़ते प्रभावों के कारण वैश्विक बुनियादी ढांचे में खतरनाक वार्षिक नुकसान पर प्रकाश डाला गया है। यह रिपोर्ट निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के सामने लचीली बुनियादी ढांचा प्रणालियों को बनाए रखने में आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों को रेखांकित करती है।
मुख्य बिंदु
- रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य, शिक्षा अवंसरचना और इमारतों को अगर इस नुकसान में जोड़ दिया जाए तो यह क्षति 732 से 845 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब पहुंच जाती है जो 2021-2022 वित्तवर्ष के वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि का सातवां हिस्सा है। इसके मुताबिक इस नुकसान में भी करीब आधी क्षति निम्न एवं मध्यम आयवर्ग के देशों में होती है।
- रिपोर्ट के अनुसार इस नुकसान का करीब 50 प्रतिशत निम्न व मध्यम आय वाले देश सह रहे हैं। जबकि यहां बुनियादी ढांचा पहले से कमजोर है। वे आपदाओं और जलवायु परिवर्तन की वजह से और कमजोर हो रहे हैं।
- सीडीआरआई की रिपोर्ट यह भी कहती है कि नुकसान के पीछे 30 प्रतिशत की वजहें भौगोलिक हालात हैं तो 70 प्रतिशत नुकसान जलवायु के कारण हो रहा है। यह संकेत है कि जलवायु परिवर्तन से दुनिया को आर्थिक नुकसान और बढ़ सकता है।
- रिपोर्ट में कहा गया कि निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (एएमआईसी) को इस क्षति से बहु आयामी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वे पहले ही अवसंरचना की कमी का सामना कर रहे होते हैं जिसकी वजह से सामाजिक एवं आर्थिक विकास बाधित होता है। अवसंरचना प्रशासन में कमी की वजह से अवसंरचना की गुणवत्ता खराब होती है, ऐसे में आपदा की वजह से संपत्ति को नुकसान एवं क्षति, सेवाओं में अवरोध जलवायु परिवर्तन एवं प्रौद्योगिकी में बदलाव के कारण पैदा हुई चुनौतियों को और बढ़ा देते हैं।
- सीडीआरआई ने बताया कि नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वैश्विक निवेश का 80 प्रतिशत हिस्सा उच्च आय वर्ग वाले देशों में जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप में हो रहा प्रति व्यक्ति निवेश उप-सहारा अफ्रीकी देशों से क्रमश: 57 व 41 गुना अधिक है।
- रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से जिन देशों को सबसे अधिक खतरा है उनमें से अधिकतर अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र और पश्चिम एशिया में अवस्थित हैं।
- सीडीआरआई की द्विवार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से जलविद्युत परियोजना को उल्लेखनीय क्षति होगी खासतौर पर उन देशों को जहां यह ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है।
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