
गुलाम नबी आज़ाद, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री, ने एक ईमानदार और स्पष्टवादी आत्मकथा लिखी है, जो 5 अप्रैल को नई दिल्ली में लॉन्च की जाएगी। इसका शीर्षक ‘आज़ाद’ है, जो आज़ाद के राजनीतिक सफ़र को चर्चित करता है और पांच दशकों के दौरान भारत में हुए महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तनों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। रूपा पब्लिकेशंस इंडिया द्वारा प्रकाशित ‘आज़ाद’ एक सच्ची रिपोर्ट है जो आज़ाद के जीवन और करियर का खुला विवरण देती है, जिसमें उनके भारत और दुनिया भर के प्रभावशाली नेताओं के साथ रचे गए संवादों का भी वर्णन है।
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पुस्तक का सार:
अपनी आत्मकथा “आज़ाद” में, गुलाम नबी आज़ाद ने विभिन्न राजनीतिक नेताओं के साथ अपने संवादों का एक रोचक विवरण प्रस्तुत किया है, जिनमें गांधी परिवार के सदस्य, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और पी वी नरसिंह राव जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों, और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं। आज़ाद ने नेतृत्व की चुनौतियों और नये विचारों को राजनीतिक संसार में लाने के परिणामों पर अपने विचार साझा किए हैं। वह विवादास्पद विषयों से बात नहीं चीन्हता, जैसे कि उनकी दलील में राहुल गांधी और हिमंत बिस्वा सरमा के बीच विवाद सुलझाने का प्रयास और एन डी तिवारी और मुफ्ती मोहम्मद सईद जैसे नेताओं द्वारा खेले जाने वाले राजनीतिक खेलों के बारे में चर्चा की। रूपा पब्लिकेशंस इंडिया द्वारा प्रकाशित इस किताब में सरकार और विपक्ष में काम करने का एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण भी है।



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