ग्रुप ऑफ सेवन (G7) उन्नत अर्थव्यवस्थाओं ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कर लगाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. डील के अनुसार, न्यूनतम वैश्विक कर की दर कम से कम 15 प्रतिशत होगी. समझौते पर यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, इटली और जापान के वित्त मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. यह उन देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर लेवी का रास्ता खोलता है, जहां न केवल उनका मुख्यालय है, वहां भी जहां वे काम करते हैं.
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वैश्विक कराधान की पुरानी प्रणाली की वर्षों से आलोचना की जा रही थी क्योंकि इसने बड़ी कंपनियों को अपने अधिकार क्षेत्र को स्थानांतरित करके कर बिलों में अरबों डॉलर बचाने की अनुमति दी थी. प्रमुख डिजिटल कंपनियां कई देशों में पैसा कमा रही थीं और केवल अपने देश में करों का भुगतान कर रही थीं. इस प्रकार, यह प्रस्ताव बनाया गया था, जो कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों और फेसबुक, अमेज़ॅन और गूगल जैसी प्रौद्योगिकी दिग्गजों पर उन देशों को कर का भुगतान करने के लिए एक अतिरिक्त कर लगाएगा जहां उनकी भौतिक उपस्थिति के बावजूद उनके सामान या सेवाएं बेची जाती हैं. यह डील सदियों पुराने अंतरराष्ट्रीय टैक्स कोड को आधुनिक बनाने का प्रयास करती है.
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