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FTII को ‘मानित विश्वविद्यालय संस्थान’ घोषित किया गया

भारतीय उच्च शिक्षा और कला के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास के तहत, पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आधिकारिक रूप से “डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी” का दर्जा प्रदान किया गया है। यह कदम संस्थान की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होता है और सिनेमा व टेलीविज़न अध्ययन के क्षेत्र में शैक्षणिक स्वायत्तता, पाठ्यक्रम में लचीलापन और शोध नवाचार के लिए नए द्वार खोलता है।

एफटीआईआई: भारतीय सिनेमा शिक्षा का एक स्तंभ

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) की स्थापना 1960 में भारत सरकार द्वारा की गई थी और इसे पहले “फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता था। यह संस्थान पुणे में स्थित है और इसे प्रख्यात प्रभात स्टूडियो की जगह पर स्थापित किया गया था, जिसने 1933 में कोल्हापुर से पुणे स्थानांतरित किया था। तब से लेकर आज तक एफटीआईआई ने फिल्म निर्माण और टेलीविज़न प्रोडक्शन में व्यावहारिक और विश्व-स्तरीय प्रशिक्षण देने में अपनी मजबूत पहचान बनाई है।

समय के साथ, एफटीआईआई के पूर्व छात्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, अडूर गोपालकृष्णन, राजकुमार राव और जयदीप अहलावत जैसी जानी-मानी हस्तियों ने अपनी रचनात्मक यात्रा की शुरुआत यहीं से की थी।

चुनौतियाँ और विवाद
अपनी कलात्मक उत्कृष्टता के बावजूद, एफटीआईआई को कई बार परेशानियों और विवादों का सामना करना पड़ा है। संस्थान में अक्सर छात्रों के आंदोलनों, प्रशासनिक विवादों और पाठ्यक्रमों के अनावश्यक खिंचाव जैसी समस्याएं देखी गई हैं। तीन साल के पाठ्यक्रम कई बार अधिक समय तक खिंच जाते हैं, जिससे कक्षाओं और छात्रावासों में भीड़ की स्थिति बन जाती है।

सबसे चर्चित घटनाओं में से एक 2015 में हुआ छात्र आंदोलन था, जब छात्रों ने गजेंद्र चौहान की एफटीआईआई सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का विरोध करते हुए कई महीनों तक हड़ताल की थी। यह विरोध धीरे-धीरे रचनात्मक स्वतंत्रता, अकादमिक स्वायत्तता और वैचारिक हस्तक्षेप के व्यापक मुद्दों में तब्दील हो गया।

हाल के वर्षों में भी वैचारिक टकराव देखने को मिले हैं, जैसे कि 2023 में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित एक बैनर को लेकर कथित हिंदुत्व समर्थकों द्वारा किया गया हिंसक प्रदर्शन।

‘डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी’ का क्या अर्थ है?
“डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी” का दर्जा भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की सिफारिश पर प्रदान किया जाता है। यह दर्जा उन संस्थानों को दिया जाता है जो किसी विशेष क्षेत्र में उच्च शैक्षणिक मानकों को दर्शाते हैं, भले ही वे पारंपरिक विश्वविद्यालय न हों।

यह दर्जा संस्थान को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है:

  • विश्वविद्यालय के समान अकादमिक दर्जा और विशेषाधिकार

  • मुख्य परिसर या अन्य केंद्रों पर नए पाठ्यक्रम शुरू करने की स्वायत्तता (उचित मंजूरी के साथ)

  • सीधे डिग्री प्रदान करने की क्षमता

  • अनुसंधान, नवाचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए विस्तृत अवसर

डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा पाने की पात्रता
इस मान्यता को पाने के लिए संस्थान को कुछ कड़े मानदंडों को पूरा करना होता है, जैसे कि:

  • लगातार तीन चक्रों तक NAAC से ‘A’ ग्रेड (CGPA 3.01 या उससे अधिक), या

  • तीन चक्रों तक दो-तिहाई योग्य कार्यक्रमों की NBA मान्यता, या

  • किसी भी श्रेणी में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में लगातार तीन वर्षों तक शीर्ष 50 में स्थान, या

  • समग्र NIRF रैंकिंग में लगातार तीन वर्षों तक शीर्ष 100 में स्थान

एफटीआईआई की सशक्त अकादमिक प्रदर्शन, प्रभावशाली पूर्व छात्र नेटवर्क और वैश्विक सिनेमा में योगदान ने इसे इस मान्यता के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाया।

एफटीआईआई में क्या बदलाव आएंगे?
शैक्षणिक और प्रशासनिक लाभ
इस नए दर्जे के साथ, अब एफटीआईआई को सीधे अकादमिक डिग्री प्रदान करने की अनुमति मिल गई है, जबकि पहले केवल पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और प्रमाणपत्र ही दिए जाते थे। संस्थान के निदेशक धीरज सिंह के अनुसार, यह बदलाव एफटीआईआई को “अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने” का अवसर देगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह परिवर्तन:

  • अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देगा

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के ढांचे में कार्यक्रमों को एकीकृत करने में मदद करेगा

  • पाठ्यक्रम में अधिक लचीलापन प्रदान करेगा

आगामी डिग्री कार्यक्रम
संस्थान के रजिस्ट्रार प्रतीक जैन ने बताया कि नए डिग्री पाठ्यक्रमों की संख्या और स्वरूप की आधिकारिक घोषणा शीघ्र ही की जाएगी। अधिसूचना के बाद नामांकित छात्र इन डिग्री कार्यक्रमों में प्रवेश लेंगे, जिनका विवरण आगामी अकादमिक प्रोस्पेक्टस में प्रकाशित किया जाएगा।

वर्तमान पाठ्यक्रम और प्रस्तुतियाँ
एफटीआईआई वर्तमान में फिल्म और टेलीविज़न विंग में कुल 11 पूर्णकालिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • निर्देशन और पटकथा लेखन

  • सिनेमैटोग्राफी

  • ध्वनि रिकॉर्डिंग और साउंड डिज़ाइन

  • स्क्रीन अभिनय

  • इलेक्ट्रॉनिक सिनेमैटोग्राफी

  • वीडियो संपादन

अब तक ये पाठ्यक्रम पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा या सर्टिफिकेट के रूप में दिए जाते थे, जिन्हें अब औपचारिक डिग्री कार्यक्रमों में अपग्रेड किए जाने की संभावना है। इससे एफटीआईआई की शैक्षणिक और वैश्विक मान्यता और भी सुदृढ़ होगी।

वैश्विक फिल्म समुदाय में एफटीआईआई की निरंतर भूमिका
एफटीआईआई खुद को “ऑडियोविज़ुअल मीडिया में उत्कृष्टता का केंद्र” मानता है, और इसके पूर्व छात्र दुनिया भर के रचनात्मक केंद्रों — जैसे लॉस एंजेलेस, लंदन, मुंबई और चेन्नई — में कार्यरत हैं। इस संस्थान ने भारतीय सिनेमा की दृश्यात्मक और नैरेटिव संस्कृति को आकार देने में अहम योगदान दिया है।

यह नई मान्यता न केवल इसे एक भारतीय संस्था के रूप में प्रतिष्ठित करती है, बल्कि वैश्विक सिनेमा शिक्षा में इसके अग्रणी स्थान को भी पुष्ट करती है।

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