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FSSAI ने अवैध रूप से फल पकाने की प्रथाओं पर कार्रवाई शुरू की

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सक्रिय कदम उठाते हुए, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कैल्शियम कार्बाइड जैसे प्रतिबंधित पकाने वाले एजेंटों के उपयोग के खिलाफ निगरानी और प्रवर्तन को तेज करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश, जिसका मुख्य उद्देश्य फल बाजारों और भंडारण सुविधाओं में असुरक्षित प्रथाओं पर अंकुश लगाना है, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर रासायनिक रूप से पके आमों के हानिकारक प्रभावों पर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर आया है।

क्यों चर्चा में है?

भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 21 मई 2025 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे कैल्शियम कार्बाइड जैसे प्रतिबंधित पकाने वाले रसायनों के उपयोग के खिलाफ निगरानी और प्रवर्तन को तेज़ करें। यह निर्देश मुख्यतः फलों की मंडियों और भंडारण स्थलों में अस्वास्थ्यकर तरीके से आम जैसे फलों को पकाने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए दिया गया है।

निर्देश का उद्देश्य:

  • केवल प्राकृतिक रूप से पके हुए फलों की बिक्री सुनिश्चित करना।

  • उपभोक्ताओं को विषैले और कैंसरकारी रसायनों से बचाना।

  • राज्यों और क्षेत्रीय स्तर पर कड़ी निगरानी और प्रवर्तन को बढ़ावा देना।

कैल्शियम कार्बाइड: मुख्य चिंता

  • आमतौर पर आम जैसे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए इस्तेमाल होता है।

  • इसमें अक्सर आर्सेनिक और फॉस्फोरस के अंश होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं।

  • इससे मुख में छाले, तंत्रिका संबंधी समस्याएं, और कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।

FSSAI के प्रमुख निर्देश:

  • मंडियों, फल बाजारों और कोल्ड स्टोरेज में निरीक्षण को तेज़ करें।

  • किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता अभियान चलाएं।

  • इथिलीन गैस जैसे सुरक्षित विकल्पों को प्रोत्साहित करें (नियंत्रित परिस्थितियों में)।

  • खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।

पृष्ठभूमि:

  • आमतौर पर गर्मियों के मौसम में आमों की कृत्रिम पकाई एक दोहराया जाने वाला मुद्दा रहा है।

  • FSSAI ने इससे पहले भी कई परामर्श और चेतावनियाँ जारी की हैं, लेकिन राज्यों में प्रवर्तन असमान रहा है।

महत्त्व:

  • खाद्य सुरक्षा और जनस्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम।

  • प्राकृतिक और जैविक खाद्य व्यवहार को बढ़ावा देता है।

  • उपभोक्ताओं के बीच खाद्य गुणवत्ता में विश्वास को मजबूत करता है।

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