फ्रांस की राजनीति में 6 अक्टूबर 2025 को अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हुई जब प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकॉर्नु (Sebastien Lecornu) ने अपनी कैबिनेट नियुक्ति के मात्र 14 घंटे बाद ही इस्तीफा दे दिया। इस घटनाक्रम ने देश को और गहरे राजनीतिक अस्थिरता (political turmoil) में धकेल दिया, जिससे फ्रांसीसी शेयर बाजार और यूरो मुद्रा दोनों प्रभावित हुए।
इस्तीफे के पीछे के कारण
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लेकॉर्नु द्वारा घोषित नई कैबिनेट को लेकर सभी राजनीतिक दलों में तीखी प्रतिक्रिया हुई।
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हफ्तों की बातचीत के बावजूद, उनका मंत्रिमंडल ना तो पूरी तरह दक्षिणपंथी माना गया, ना ही मध्यमार्गी गुटों को स्वीकार्य हुआ।
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फ्रांस की विभाजित राष्ट्रीय विधानसभा (National Assembly) में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं है, जिससे सरकार अविश्वास प्रस्ताव के खतरे में रहती है।
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इसी आशंका से लेकॉर्नु ने सोमवार सुबह राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
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एलिसी पैलेस (Élysée Palace) ने उनके इस्तीफे की पुष्टि की।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
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2022 में राष्ट्रपति मैक्रों के पुनर्निर्वाचन के बाद से फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता लगातार बनी हुई है, क्योंकि उनकी सेंट्रिस्ट गठबंधन सरकार संसद में बहुमत नहीं पा सकी।
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2024 में बुलाए गए स्नैप चुनाव (Snap Election) उलटे पड़े — जिससे संसद और भी अधिक विभाजित (fragmented) हो गई।
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लेकॉर्नु, जो मैक्रों के करीबी सहयोगी हैं, मात्र एक महीने पहले प्रधानमंत्री बने थे।
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वे दो वर्षों में फ्रांस के पाँचवें प्रधानमंत्री थे — यह दर्शाता है कि फ्रांसीसी शासन अब गंभीर गतिरोध (governance gridlock) का सामना कर रहा है।


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