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अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद की पहली बैठक कोलकाता में आयोजित

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कोलकाता में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (आईडब्ल्यूडीसी) का पहला संस्करण देश के अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता और व्यवहार्यता बढ़ाने के प्रयास में कई पहलों के साथ संपन्न हुआ। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यों के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ नीति निर्माताओं और उद्योग जगत की हस्तियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

 

45,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता

इस बैठक में देश में आर्थिक विकास और वाणिज्य के माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों को सक्षम करने के उद्देश्य से, देश में नदी क्रूज पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई। इस बड़ी राशि में से, अनुमानित रूप से 35,000 करोड़ रुपये क्रूज़ जहाजों के लिए और अमृतकाल के अंत में यानी 2047 तक क्रूज़ टर्मिनल बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

 

अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा

कार्गो व्यापार के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाने के लिए 15,200 करोड़ रुपये का निवेश अक्टूबर, 2023 में मुंबई में आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) में आया है। इससे 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज होने की संभावना है, जिससे 2047 तक कार्गो व्यापार की मात्रा 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ जाएगी।

 

टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा

सोनोवाल ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्ग प्रगति की धमनियां हैं, और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (आईडब्ल्यूडीसी) उनकी क्षमता का दोहन करने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी के नेतृत्व में और सहयोगात्मक प्रयासों तथा रणनीतिक पहलों के साथ हमारा लक्ष्य अवसरों को भुनाना, अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में सतत विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना है। ‘हरित नौका – अंतर्देशीय जहाजों के हरित पारगमन के लिए दिशानिर्देश’ के जारी होने के साथ केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय हमारे अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रोडमैप ने विभिन्न प्रकार के क्रूज के लिए 30 से अधिक अतिरिक्त संभावित मार्गों की पहचान की थी, जिसमें सभी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लंबे और छोटे, मनोरंजक और विरासत खंड शामिल थे। ऐसे अतिरिक्त नदी पर्यटन को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए मार्ग विकास, विपणन रणनीति, बुनियादी ढांचे के विकास और नेविगेशन सहित एक कार्य योजना और रोडमैप भी तैयार है।

 

गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली

सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) की भूमिका को बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (एनडब्ल्यू-1) के विकास के लिए प्रमुख जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) सहित विभिन्न उपाय शुरू किए। यह परियोजना सामुदायिक घाटों के माध्यम से छोटे गांवों को शामिल करने के साथ-साथ कार्गो, रो-रो और यात्री नौका आवाजाही पर केंद्रित थी। इसके अलावा, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 में उल्लिखित आईडब्ल्यूटी की मॉडल हिस्सेदारी को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना है। इस लक्ष्य में समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के अनुरूप, कार्गो की मात्रा मौजूदा आईडब्ल्यूटी को 120 एमटीपीए से 500 एमटीपीए से अधिक ऊपर उठाना भी शामिल है।

 

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FAQs

भारत में हरित क्रांति कहां से शुरू हुई?

भारत में हरित क्रांति 1960 के दशक के अंत में पंजाब में शुरू हुई। इस अवधि के दौरान, भारत ने अपनी कृषि पद्धतियों में बदलाव देखा।