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RBI का वित्तीय समावेश सूचकांक मार्च में 60.1 पर पहुंचा

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का समग्र वित्तीय समावेश सूचकांक मार्च, 2023 में बढ़कर 60.1 हो गया जो सभी मानकों में वृद्धि को दर्शाता है। आरबीआई का यह सूचकांक वित्तीय समावेश के विभिन्न पहलुओं से संबंधित आंकड़ों के संकलन पर आधारित है। इस सूचकांक को शून्य से लेकर 100 तक के मूल्य दायरे के आधार पर तैयार किया जाता है।

 

बेहतर FI सूचकांक में प्रमुख योगदानकर्ता

आरबीआई ने एक बयान में कहा कि मार्च, 2023 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए वित्तीय समावेश सूचकांक 60.1 अंक रहा है जबकि मार्च, 2022 में यह 56.4 रहा था। इस दौरान सभी उप-सूचकांकों में वृद्धि दर्ज की गई है। बयान के मुताबिक, उपयोग एवं गुणवत्ता आयामों के विस्तार ने वित्तीय समावेश सूचकांक में सुधार की दिशा में अहम भूमिका निभाई।

 

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

रिजर्व बैंक ने अगस्त, 2021 में सरकारी एवं विभिन्न नियामकों के साथ परामर्श के बाद एक समग्र सूचकांक की संकल्पना पेश की थी। इसमें बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक सेवा और पेंशन क्षेत्र से जुड़े ब्योरे शामिल होते हैं। वित्तीय समावेश सूचकांक तीन व्यापक मानकों पर आधारित होता है। इसमें पहुंच का भारांश 35 प्रतिशत, उपयोग का भारांश 45 प्रतिशत और गुणवत्ता का भारांश 20 प्रतिशत होता है।

 

FI इंडेक्स स्केल को समझना

FI सूचकांक 0 से 100 तक के पैमाने पर एकल संख्यात्मक मान प्रदान करता है। इस पैमाने में, 0 का स्कोर पूर्ण वित्तीय बहिष्कार को इंगित करता है, जबकि 100 का पूर्ण स्कोर पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।

 

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FAQs

वित्तीय समावेशन सूचकांक का आधार वर्ष क्या है?

Fi इंडेक्स का उद्देश्य यह आकलन करना है कि आम लोगों तक वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक कितनी अच्छी पहुंच है। वित्तीय समावेशन के संदर्भ में अर्थव्यवस्था के समग्र प्रदर्शन को देखने के लिए चूंकि एफआई सूचकांक को कोई आधार वर्ष नहीं दिया गया है , यह भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के समग्र परिणाम का प्रतिनिधित्व करता है।