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बृहस्पति के चंद्रमाओं पर जीवन की संभावना खोजेगा ‘जूस’ मिशन

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एक यूरोपीय अंतरिक्ष यान 14 अप्रैल 2023 को हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति और उसके तीन बर्फीले चंद्रमाओं का पता लगाने के लिए एक दशक लंबे खोजी अभियान पर सफलतापूर्वक रवाना हुआ। दरअसल, इसके जरिए यह पता लगाया जाएगा कि कहीं और जीवन मौजूद है या नहीं। बता दें कि फ्रेंच गुयाना से शुक्रवार की सुबह एरियन रॉकेट को लॉन्च किया गया। बृहस्पति तक पहुंचने में रोबोटिक एक्सप्लोरर ‘जूस’ को आठ साल लगेंगे, जहां यह न केवल सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह, बल्कि यूरोपा, कैलिस्टो और गेनीमेड को भी देखेगा।

 

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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के परियोजना वैज्ञानिक ओलीवर वितासे ने जोर देकर कहा कि हम जूस पर जीवन का पता लगाने नहीं जा रहे हैं। जूस से करीब डेढ़ साल बाद लॉन्च किए जाने के बावजूद नासा का स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति पर एक साल पहले ही पहुंच जाएगा, क्योंकि इसे स्पेसएक्स के शक्तिशाली रॉकेट पर लॉन्च होगा। ऐसे में सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह पर एक साथ दो अंतरिक्ष यान मौजूद होंगे। नासा 70 के दशक से बृहस्पति का अन्वेषण कर रहा है। हालांकि, इस दौरान बृहस्पति पर मात्र एक ही एयरक्राफ्ट मौजूद रहा है।

पृथ्वी से लेकर बृहस्पति तक यूरोपीय एयरक्राफ्ट जूस की यात्रा आसान नहीं होने वाली है। बता दें कि जूस एक लंबे और गोलाकार मार्ग से बृहस्पति तक जाएगा, जो 6.6 अरब किलोमीटर की दूरी तय करेगा। बता दें कि नासा के अंतरिक्ष यान का सुरक्षा आवरण जूस से भी ज्यादा मजबूत है। यह अंतरिक्ष यान सबसे पहले बृहस्पति ग्रह के बर्फीले चंद्रमाओं गैनीमेडे, यूरोपा और कैलिस्टो की जांच पड़ताल करेगा। इन पर जमे बर्फीले समुद्र की जांचकर उनमें जीवन की खोज करेगा। जूस अंतरिक्ष यान बर्फीले समुद्र के अंदर बाहर जांच करेगा और जीवन का पता लगाएगा।

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FAQs

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में कितने देश हैं?

22 देश यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के सदस्य राज्य हैं: ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंगडम।