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यूरोपीय बैंकों ने तीसरे पक्ष के लेनदेन मॉडल के लिए RBI से मंजूरी मांगी

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से क्रेडिट एग्रीकोल, सोसाइटी जेनरल, ड्यूश बैंक और बीएनपी पारिबा ने तीसरे पक्ष के लेनदेन मॉडल को मंजूरी देने के लिए कहा है। उन्होंने यह मांग अपने घरेलू प्राधिकारियों और भारतीय नीति निर्माताओं के बीच लेखापरीक्षा निरीक्षण अधिकारों पर गतिरोध को हल करने के लिए रखी है।

यूरोपीय प्रतिभूति और बाजार प्राधिकरण (ईएसएमए) ने अक्टूबर 2022 में क्लियरिंग कॉर्प ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) की मान्यता रद्द कर दी, जिससे वैकल्पिक समाशोधन तंत्र की आवश्यकता उत्पन्न हो गई।

चुनौतियाँ और प्रस्तावित समाधान

यूरोपीय बैंक गतिरोध को दूर करने के लिए तीसरे पक्ष के लेनदेन मॉडल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से मंजूरी मांग रहे हैं। इस मॉडल का उद्देश्य लेखापरीक्षा निरीक्षण और ग्राहक गोपनीयता से संबंधित चिंताओं को दूर करना है। बैंकों ने आरबीआई अधिकारियों के साथ बैठक की है और आने वाले सप्ताहों में निर्णय होने की उम्मीद है।

समय सीमा

यूरोपीय बैंकों को अब वैकल्पिक तृतीय-पक्ष समाशोधन तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है क्योंकि सीसीआईएल के साथ लेनदेन बंद करने की समय सीमा अक्टूबर 2024 है। वे एक सहज संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए अपने राष्ट्रीय विनियामकों से कम से कम छह महीने का विस्तार मांग सकते हैं।

 

FAQs

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना किस वर्ष हुई थी?

आरबीआई की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी। 1 जनवरी 1949 को आरबीआई का राष्ट्रीयकरण किया गया था।