जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 1 से 15 नवंबर 2025 तक ‘जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा’ शुरू करने का ऐलान किया है। यह ‘जनजातीय गौरव वर्ष’ के भव्य समापन और 15 नवंबर 2025 को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर मनाया जाएगा। जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई), एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस), ट्राइफेड और एनएसटीएफडीसी के संयुक्त प्रयास से देश में दो सप्ताह तक चलने वाले इस समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसमें देश के जनजातीय समुदायों और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की समृद्ध विरासत, संस्कृति और योगदान पर बात होगी।
यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण से जुड़ी है, जिसमें वे लगातार भारत के जनजातीय नायकों का सम्मान करने और जनजातीय युवाओं को शिक्षा, संस्कृति व जागरूकता के माध्यम से सशक्त बनाने पर बल देते रहे हैं।
जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य है –
भारत के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत और योगदान का उत्सव मनाना।
विद्यार्थियों को जनजातीय कला, संस्कृति और धरोहर से प्रेरित करना।
एकता, सांस्कृतिक गौरव और जागरूकता को बढ़ावा देना।
पूरे देश के जनजातीय विद्यार्थियों में रचनात्मकता और सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
देशभर के 497 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRSs) के लगभग 1.5 लाख विद्यार्थी इस पखवाड़े के दौरान शैक्षणिक, सांस्कृतिक और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेंगे, जो भारत की समृद्ध जनजातीय विविधता और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेंगी।
पखवाड़े के दौरान विद्यालयों में ऐसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी जो सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय भावना को सशक्त करेंगी, जैसे –
पदयात्राएँ (Marches) – एकता और जनजागरूकता का संदेश देने हेतु।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ – जनजातीय परंपराओं, लोककथाओं और नृत्यों पर आधारित।
प्रदर्शनियाँ – जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों और धरोहर पर केंद्रित।
प्रतियोगिताएँ एवं कार्यशालाएँ – कला, कहानी कहने और नवाचार पर।
सम्मान समारोह – रचनात्मकता और सक्रिय भागीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों को सम्मानित किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर दो ऐसे EMRSs को भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने सबसे नवाचारी और प्रभावशाली गतिविधियाँ आयोजित की हों।
यह उत्सव 15 नवम्बर 2025 को जनजातीय गौरव दिवस के साथ समाप्त होगा, जो भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाएगा।
“धरती आबा” (पृथ्वी के पिता) के नाम से प्रसिद्ध बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनका साहस, आदर्श और बलिदान आज भी पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है।
राष्ट्रीय जनजातीय विद्यार्थी शिक्षा सोसाइटी (NESTS), जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, जो एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRSs) का संचालन करती है।
इन विद्यालयों का उद्देश्य है –
जनजातीय विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना,
समग्र विकास के अवसर उपलब्ध कराना, और
जनजातीय संस्कृति एवं पहचान का संरक्षण करना।
जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा जैसी पहलें जनजातीय विद्यार्थियों में गौरव, आत्मपहचान और सशक्तिकरण की भावना विकसित करती हैं, जिससे वे “विकसित भारत” (Viksit Bharat) के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
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