भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) एक संवैधानिक संस्था है, जिसका दायित्व देश में मुक्त, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है। यह लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनावों का संचालन करता है। इसका मुख्यालय निर्वाचन सदन, नई दिल्ली में स्थित है। आयोग यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव प्रक्रिया का हर चरण सुचारू और निष्पक्ष तरीके से हो।
निर्वाचन आयोग की स्थापना 1950 में एक सदस्यीय संस्था के रूप में हुई थी। बाद में 1989 में इसे तीन सदस्यीय बनाया गया—
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC)
दो चुनाव आयुक्त
मुख्य चुनाव आयुक्त आयोग का प्रमुख होता है, लेकिन सभी निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं।
आयोग की सहायता वरिष्ठ अधिकारियों—प्रमुख सचिवों, महानिदेशकों आदि—द्वारा की जाती है। राज्य स्तर पर चुनावों की देखरेख मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) करते हैं, जबकि जिला स्तर पर जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी चुनावी कार्य संभालते हैं।
CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 के आधार पर होती है।
उन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं, लेकिन चयन समिति में शामिल होते हैं—
प्रधानमंत्री
विपक्ष के नेता
प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री
कार्यालय का कार्यकाल:
अधिकतम 6 वर्ष या
65 वर्ष की आयु तक (जो पहले हो)
CEC को केवल संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से हटाया जा सकता है, जबकि अन्य चुनाव आयुक्तों को CEC की सिफारिश पर राष्ट्रपति हटा सकते हैं।
नामांकन, मतदान, मतगणना और परिणाम घोषित करने की तिथियाँ आयोग तय करता है।
1971 में पहली बार लागू की गई। यह दलों और उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान मर्यादा और निष्पक्षता बनाए रखने के निर्देश देती है।
दल का पंजीकरण, राष्ट्रीय/राज्य/क्षेत्रीय दल का दर्जा, तथा चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
मतदाता सूचियों का अद्यतन, EPIC (मतदाता पहचान पत्र) जारी करना।
उम्मीदवारों के खर्च की सीमा निर्धारित, आयकर अधिकारी पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त, चुनाव के बाद खर्च का विवरण जमा करना अनिवार्य।
एग्जिट पोल/ओपिनियन पोल को नियंत्रित करना, ताकि मतदाता प्रभावित न हों।
गलत जानकारी देने या दो वर्ष से अधिक की सजा पाए उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
वेबसाइट, ऐप्स, शिकायत निस्तारण पोर्टल, मतदाता जानकारी और कैंडिडेट डिटेल्स सभी डिजिटल माध्यम से उपलब्ध।
भारत में मतदान तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए EVM का उपयोग किया जाता है।
पहला परीक्षण 1982 में केरल में हुआ था।
EVMs का निर्माण BEL और ECIL द्वारा किया जाता है।
2013 में परीक्षण हुआ, बाद में देशभर में लागू।
मतदाता को कुछ सेकंड के लिए पर्ची दिखाई देती है, जिससे उनका वोट सत्यापित हो सके।
2014 से NOTA उपलब्ध है।
NOTA का प्रतीक चिह्न 2015 में लागू हुआ।
इनके लिए उपलब्ध:
सशस्त्र बल और पुलिस बल
विदेश में तैनात सरकारी कर्मचारी
निरोध में रखे गए व्यक्ति
80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक
दिव्यांगजन
उन्हें डाक मतपत्र भेजा जाता है, जिसे वे वापस पोस्ट कर सकते हैं।
सांकेतिक भाषा सहायता
घर पर मतदान (योग्य श्रेणियों के लिए)
व्हीलचेयर, रैंप और अन्य सहायक सुविधाएँ
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