भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने एक बड़े साफ-सफाई अभियान के तहत 474 पंजीकृत अप्रमाणित राजनीतिक दलों (RUPPs) को सूची से हटा दिया है। इन दलों पर निर्वाचन और वित्तीय नियमों का पालन न करने का आरोप है। इस दूसरी कार्यवाही के साथ ही केवल दो महीनों में अब तक 808 दलों को डीलिस्ट किया जा चुका है। यह कदम राजनीतिक भागीदारी और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में आयोग की सख़्त नीति को दर्शाता है।
लगातार चुनावी निष्क्रियता
474 दलों ने लगातार छह वर्षों तक कोई चुनाव नहीं लड़ा।
यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A का उल्लंघन है, जिसमें अनिवार्य है कि पंजीकृत दल हर छह साल में कम से कम एक चुनाव लड़ें।
वित्तीय रिपोर्ट जमा न करना
23 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 359 दलों ने पिछले तीन वर्षों की वार्षिक लेखापरीक्षित रिपोर्ट नहीं सौंपी।
ये रिपोर्ट राजनीतिक चंदे और व्यय की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
निर्वाचन आयोग ने संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को ऐसे दलों को नोटिस जारी करने और सुनवाई का अवसर देने का निर्देश दिया है। अंतिम निर्णय इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर लिया गया, ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे।
पहले भारत में 2,520 से अधिक पंजीकृत अप्रमाणित दल थे।
808 दलों को हटाए जाने के बाद यह संख्या घटकर लगभग 2,046 रह गई।
राजनीतिक दलों की आड़ में होने वाले मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी जैसे दुरुपयोग पर रोक।
सक्रिय और वास्तविक दलों की बेहतर निगरानी।
चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता में वृद्धि।
(हालांकि, छोटे/क्षेत्रीय दलों के लिए संसाधनों की कमी के चलते अनुपालन में कठिनाई भी चिंता का विषय है।)
हर राजनीतिक दल को –
निर्वाचन आयोग में पंजीकृत होना,
वार्षिक लेखापरीक्षित खाते जमा करना,
चुनावी व्यय विवरण देना,
नियमित रूप से चुनाव लड़ना अनिवार्य है।
अनुपालन न होने पर पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
2026 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले यह कदम निर्वाचन प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को मजबूत करेगा।
अब राजनीतिक दलों को चुनावी भागीदारी और वित्तीय अनुशासन पर और अधिक ध्यान देना होगा।
भारत निर्वाचन आयोग (ECI)
स्थापना: 25 जनवरी 1950
संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 324
RUPPs (पंजीकृत अप्रमाणित दल)
परिभाषा: पंजीकृत लेकिन राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं
विशेषाधिकार: कर छूट, चुनाव चिह्न आवंटन आदि
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