उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने नई दिल्ली में ‘कारोबारी सुगमता’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला के दौरान नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर ने मुख्य संबोधन दिया। उन्होंने वैश्विक सूचकांकों पर भारत के प्रदर्शन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में कारोबारी सुगमता अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में सामने आई है।
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मुख्य बिंदु
- जी20 के शेरपा श्री अमिताभ कांत ने भारत को परिवर्तित करने में कारोबारी सुगमता की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि भारत की रैंक में सुधार से संतुष्ट होना ही वांछनीय नहीं है।
- उन्होंने कहा कि नए तरीकों को स्वीकार करने के लिए देश के भीतर मानसिकता में बदलाव लाना भी जरूरी है। इसके अलावा उन्होंने प्रत्येक राज्य में बदलाव शुरू करने के लिए कम से कम एक परिवर्तन एजेंट होने पर जोर दिया।
- डीपीआईआईटी में पूर्व सचिव श्री रमेश अभिषेक ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 के विजन को रेखांकित किया, जिसमें राज्य और नियामकों सहित सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाएगी। सरकारी विभागों द्वारा वैश्विक स्तर की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए।
- लाइसेंस/अनुमोदन/नवीनीकरण की ज्यादा आवश्यकता की जांच की जानी चाहिए और इसकी किसी भी आवश्यकता को औचित्यपूर्ण होना चाहिए। इस बात का भी परीक्षण किया जाना चाहिए कि क्या लाइसेंस/अनुमोदन को केवल सरकारी अधिकारियों के पंजीकरण/सूचना देने से बदला जा सकता है।
- भूमि संसाधन विभाग में सचिव श्री अजय टिर्की ने कहा कि डिजिटलीकरण और सुलभ शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से पंजीकरण प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। विभाग जिओ-रिफ्रेंसिंग और भूमि पार्सल के लिए विशिष्ट पहचान सहित सुधारों के अगले चरण पर काम कर रहा है।
- प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने सरकारी विभागों और राज्यों के बीच समन्वय के महत्व, नोडल विभागों के बीच दायित्वों के आवंटन और कुछ स्तंभों के रूप में प्रभावी निगरानी पर प्रकाश डाला, जिससे विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ।