प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इंडिया एनर्जी वीक (IEW) 2023 में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को लॉन्च कर दिया है। काफी समय से सरकार इस कोशिश में लगी थी कि इथेनॉल (Ethanol) के इस्तेमाल को बढ़ाया जा सके, अब पहले चरण के रूप में पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल (E-20) का इस्तेमाल शुरू किया जा रहा है। शुरुआती चरण में इसे 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
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सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से पेट्रोल पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा। इससे विदेशी मुद्रा भी बचेगी और जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सकेगा। 20 प्रतिशत इथेनॉल के साथ मिलने वाले ईंधन को भारत के शहरों में चरणों में लाया जा रहा है। पहले चरण के रूप में 15 शहरों को कवर किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में अगले दो साल में पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा। E-20 पेट्रोल 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 84 पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध कराया जाएगा।
E-20 या इथेनॉल 20 एक तरह का रिफाइंड और मिक्स फ्यूल है। इसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल होगा, जबकि 80 प्रतिशत पेट्रोल। यानी इसे पेट्रोल और इथेनाल को मिलकर बनाया जाता है। बता दें कि अब तक भारत में इथेनॉल 10 का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें ईंधन में 10 फीसदी तक इथेनॉल को मिलाया जा रहा है। बता दें कि E20 को पायलट आधार पर समय से पहले रोल आउट किया जा रहा है और इस प्रोजेक्ट को 2025 तक बढ़ाया गया है।
इथेनॉल के उत्पादन की बात करें तो वर्तमान समय में देश में इथेनॉल की उत्पादन क्षमता लगभग 1,037 करोड़ लीटर है। इसमें 700 करोड़ लीटर गन्ना आधारित और 337 करोड़ लीटर अनाज आधारित उत्पादन शामिल है। वहीं, 2022-23 के लिए पेट्रोल-इथेनॉल वाले ईंधन की आवश्यकता 542 करोड़ लीटर है। यह 2023-24 के लिए 698 करोड़ लीटर और 2024-25 के लिए 988 करोड़ लीटर है।
इस फ्यूल का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे प्रदूषण कम होता है, जो कि पर्यावरण के लिए बेहद ही जरूरी है। कम पर्यावरणीय प्रभाव के कारण, बायो फ्यूल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यदि इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है, तो इससे प्रदूषण को काफी हद तक कम करने की क्षमता है। भारत की लगभग 85% ईंधन की जरूरतें आयात से पूरी होती हैं, दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमत भी लगातार बढ़ती जा रही है। फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को कम करने के लिए ये एक बेहद ही जरूरी कदम है।
E-20 कार्यक्रम से सबसे ज्यादा फायदा गन्ना किसानों को होने वाला है। इसे इन्हें अतिरिक्त आय के रूप में देखा जा रहा है। पिछले आठ साल के आंकड़ों पर ध्यान दें तो इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं ने इससे 81,796 करोड़ रुपये कमाए हैं, जबकि किसानों को 49,078 करोड़ रुपये मिले हैं। देश ने विदेशी मुद्रा व्यय में 53,894 करोड़ रुपये की बचत की। साथ ही, इससे 318 लाख टन कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में कमी आई।
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