दिसंबर 2024 में, ई-वे बिल्स ने दो वर्षों में दूसरा सबसे ऊंचा स्तर हासिल किया, जो भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार को दर्शाता है। डेटा के अनुसार, महीने के दौरान कुल 8.8 करोड़ ई-वे बिल्स जनरेट किए गए, जो पिछले महीने की तुलना में 9.3% की महत्वपूर्ण वृद्धि और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.4% की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि, परिवहन और व्यापार की तेज़ी से प्रेरित है।
मुख्य बिंदु
- ई-वे बिल्स की वृद्धि:
दिसंबर 2024 में 8.8 करोड़ ई-वे बिल्स जनरेट हुए, जो दिसंबर 2022 में हासिल किए गए 9 करोड़ के उच्चतम स्तर के बाद दूसरे स्थान पर है। - महीने-दर-महीने और साल-दर-साल तुलना:
नवंबर 2024 की तुलना में बिल्स की संख्या में 9.3% की वृद्धि और दिसंबर 2023 की तुलना में 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई। - आर्थिक सुधार के संकेत:
ई-वे बिल्स में यह वृद्धि व्यवसायिक और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के कारण अर्थव्यवस्था में मजबूती की ओर इशारा करती है। - मौसमी प्रवृत्तियां:
ई-वे बिल्स आमतौर पर त्योहारों के महीनों में उच्चतम स्तर पर पहुंचते हैं। इस दिसंबर में वृद्धि छुट्टियों के मौसम के दौरान उच्च खपत, बढ़ी हुई बिक्री और परिवहन के चलते हुई।
ऐतिहासिक संदर्भ
दिसंबर 2022 में अब तक के सबसे अधिक 9 करोड़ ई-वे बिल्स जनरेट हुए थे, जो महामारी के बाद की मजबूत मांग और आर्थिक सुधार के कारण संभव हुआ। दो वर्षों में संख्या की यह स्थिरता भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और व्यापार के बदलते पैटर्न को दर्शाती है।
Why in News | Key Points |
ई-वे बिल दिसंबर 2024 में | दिसंबर 2024 में 112 मिलियन ई-वे बिल जनरेट हुए, साल दर साल 17.6% की वृद्धि, दो वर्षों में दूसरा सबसे उच्चतम स्तर। जनवरी 2025 के लिए जीएसटी संग्रह में वृद्धि की संभावना। |
आर्थिक प्रभाव | वृद्धि उच्च निर्माण गतिविधि को दर्शाती है, जो आर्थिक विकास का संकेत है। |
जीएसटी और ई-वे बिल | ई-वे बिल की अधिक संख्या से जनवरी 2025 में सकारात्मक जीएसटी संग्रह की संभावना। |
पीएमआई बनाम ई-वे बिल | दिसंबर का पीएमआई 56.4 पर गिरा, जो ई-वे बिल डेटा की तुलना में धीमी निर्माण वृद्धि को दर्शाता है। |