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DRDO ने सात स्वदेशी टेक्नोलॉजी सशस्त्र बलों को सौंपी

भारत की रक्षा क्षमताओं को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 2 दिसंबर 2025 को सात स्वदेशी तकनीकों को भारतीय सशस्त्र बलों को सौंप दिया। ये तकनीकें ‘टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फ़ंड (TDF)’ योजना के तहत विकसित की गई थीं, जिसका उद्देश्य भारतीय उद्योग — विशेषकर MSMEs और स्टार्टअप्स — को रक्षा नवाचारों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना है। इसी कार्यक्रम के दौरान रणनीतिक, एयरोस्पेस, नौसैनिक और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) क्षेत्रों से जुड़े 12 नए प्रोजेक्ट्स को भी मंज़ूरी दी गई, जो रक्षा आत्मनिर्भरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

TDF योजना क्या है?

टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फ़ंड (TDF) रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई और DRDO द्वारा लागू की जाने वाली एक योजना है, जिसका उद्देश्य रक्षा प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को बढ़ावा देना है। इस योजना का लक्ष्य आयातित रक्षा प्रणालियों पर निर्भरता कम करना और भारतीय उद्योगों को महत्वपूर्ण तकनीकें डिज़ाइन, विकसित और उपलब्ध कराने में सक्षम बनाना है।
इस योजना के तहत:

  • चयनित परियोजनाओं के लिए अधिकतम ₹50 करोड़ तक का वित्तपोषण

  • स्टार्टअप्स, MSMEs, निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए खुला अवसर

  • अवधारणा से प्रोटोटाइप और फिर अंतिम उपयोग तक पूरी विकास-श्रृंखला का समर्थन

  • फोकस क्षेत्र: एयरोस्पेस, नौसेना प्रणालियाँ, EW, उन्नत सामग्री आदि

TDF रक्षा क्षेत्र में “आत्मनिर्भर भारत” पहल का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

सशस्त्र बलों को सौंपे गए स्वदेशी तकनीकी समाधान

DRDO ने सात महत्वपूर्ण स्वदेशी तकनीकों को सेना, नौसेना और वायुसेना को हस्तांतरित किया। इनमें शामिल हैं:

  • एयरबोर्न जैमर्स के लिए हाई-वोल्टेज पावर सप्लाई

  • नौसैनिक जेटियों पर बेहतर पहुँच के लिए टाइड-इफ़िशिएंट गैंगवे

  • Very Low Frequency (VLF) और High Frequency (HF) संचार के लिए स्विचिंग मैट्रिक्स सिस्टम

  • पानी के नीचे प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए सुरक्षित संचार हेतु VLF लूप एरियल

  • तेज़ इंटरसेप्टर नौकाओं के लिए स्वदेशी वॉटरजेट प्रणोदन प्रणाली

  • उपयोग किए गए लिथियम-आयन बैटरियों से लिथियम प्रीकर्सर्स रिकवरी की तकनीक

  • लंबे समय तक जल-नीचे निगरानी के लिए लॉन्ग-लाइफ़ सीवॉटर बैटरी सिस्टम

ये तकनीकें भारतीय उद्योग के सहयोग से विकसित की गईं और कठोर परीक्षणों के बाद प्रमाणित की गईं, जो आयात-निर्भरता कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस विकास का महत्व

इस तकनीकी हस्तांतरण के कई रणनीतिक लाभ हैं:

  • भारत की स्वदेशी क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि

  • विदेशी रक्षा आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता में कमी

  • MSMEs और स्टार्टअप्स की राष्ट्रीय सुरक्षा में भूमिका मज़बूत

  • प्रयोगशाला से युद्धक्षेत्र तक तकनीक पहुँचने की गति में वृद्धि

  • नवाचार आधारित सार्वजनिक-निजी साझेदारी को बढ़ावा

यह भी दर्शाता है कि उचित मार्गदर्शन और सहयोग से भारतीय उद्योग उच्च-स्तरीय रक्षा प्रणालियाँ विकसित करने में सक्षम है।

स्वीकृत नए प्रोजेक्ट

तकनीकों के हस्तांतरण के साथ ही DRDO की एम्पावरड कमेटी ने TDF योजना के तहत 12 नई परियोजनाओं को मंज़ूरी दी। ये प्रोजेक्ट रणनीतिक तकनीक, एयरोस्पेस प्रणालियाँ, नौसैनिक समाधान, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार प्रणालियों जैसे विविध क्षेत्रों को कवर करते हैं। इसका उद्देश्य उभरती परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करना और अत्याधुनिक स्वदेशी क्षमताएँ विकसित करना है।

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