DRDO ने विकसित किए नयी पी­ढ़ी के ‘मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल’

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने वास्तविक समय में बारूदी सुरंग जैसी वस्तुओं का पता लगाने के लिए नयी पी­ढ़ी के ‘मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल (एमपी-एयूवी)’ विकसित किए हैं। रक्षा मंत्रालय ने 14 नवंबर 2025 को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि इस प्रणाली में पानी के भीतर चलने वाले कई स्वायत्त वाहन (एयूवी) शामिल हैं, जो वास्तविक समय में बारूदी सुरंग जैसी वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम साइड स्कैन सोनार और अत्याधुनिक कैमरों से लैस हैं।

मंत्रालय ने कहा कि ‘एमपी-एयूवी’ के ‘डीप र्लिनंग’ आधारित एल्गोरिद्म इस प्रणाली को स्वायत्त रूप से अलग-अलग तरह के लक्ष्यों को पहचानने में सक्षम बनाते हैं, जिससे संचालक पर काम का बोझ और मिशन को पूरा करने में लगने वाला समय काफी कम हो जाता है। मंत्रालय के अनुसार, एमपी-एयूवी का निर्माण डीआरडीओ की विशाखापत्तनम स्थित नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल) ने किया है।

मुख्य विशेषताएँ: कॉम्पैक्ट, स्मार्ट और नेटवर्क-सक्षम

MP-AUV सिस्टम कई हल्के, पोर्टेबल अंडरवॉटर ड्रोन से मिलकर बना है, जिनमें निम्न तकनीकें शामिल हैं—

  • साइड स्कैन सोनार – समुद्री तल की विस्तृत इमेजिंग के लिए

  • अंडरवॉटर कैमरे – दृश्य पुष्टि (visual confirmation) के लिए

  • डीप लर्निंग आधारित टार्गेट रिकग्निशन – माइंस जैसे ऑब्जेक्ट्स (MLOs) की रियल-टाइम पहचान के लिए

  • अंडरवॉटर एकाउस्टिक कम्युनिकेशन – कई AUVs के बीच सुरक्षित डेटा साझा करने और टीम-कोऑर्डिनेशन के लिए

इन उन्नत तकनीकों के कारण यह सिस्टम काफी हद तक स्वायत्त (autonomous) है और बेहद कम मानव हस्तक्षेप के साथ मिशन पूरा कर सकता है। इससे ऑपरेटर का कार्यभार कम होता है और मिशन का समय घटता है।

फील्ड ट्रायल्स: मिशन उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया

MP-AUV सिस्टम को NSTL/हार्बर में कठोर परीक्षणों से गुजारा गया, जिसमें इसके प्रदर्शन और मिशन क्षमताओं का सत्यापन हुआ। ट्रायल्स में पाया गया—

  • पानी के भीतर माइंस की सटीक पहचान और वर्गीकरण

  • अंडरवॉटर कम्युनिकेशन के जरिए मल्टी-AUV तालमेल

  • माइन्स काउंटरमेज़र से जुड़े सभी प्रमुख मिशन उद्देश्यों की सफल प्राप्ति

सफल परीक्षणों के बाद यह सिस्टम अब कुछ ही महीनों में उत्पादन के लिए तैयार होने की संभावना है, जिसमें भारतीय रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी होगी।

रणनीतिक महत्व

DRDO के चेयरमैन एवं रक्षा अनुसंधान सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने इसे भारत की अंडरवॉटर रक्षा तकनीक में “एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” बताया। उन्होंने कहा कि MP-AUV सिस्टम प्रदान करता है—

  • माइंस से घिरे क्षेत्रों में तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता

  • नौसैनिक कर्मियों के लिए कम जोखिम

  • छोटा लॉजिस्टिक फुटप्रिंट—क्योंकि सिस्टम बेहद कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल है

  • भविष्य के नौसैनिक अभियानों के लिए बुद्धिमान, स्वचालित और नेटवर्क-आधारित समाधान

यह उपलब्धि समुद्री क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक को मजबूत करने का एक बड़ा कदम है।

स्थैतिक तथ्य

  • विकसित करने वाला संगठन: नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL), विशाखापट्टनम

  • मूल एजेंसी: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)

  • प्रणाली का नाम: मैन-पोर्टेबल ऑटोनॉमस अंडरवॉटर व्हीकल्स (MP-AUVs)

  • मुख्य उपयोग: माइन काउंटरमेज़र (MCM) मिशन

  • प्रयुक्त प्रमुख तकनीकें:

    • साइड स्कैन सोनार

    • अंडरवॉटर कैमरे

    • डीप लर्निंग-आधारित टार्गेट रिकग्निशन

    • अंडरवॉटर एकॉस्टिक कम्युनिकेशन

  • सफल परीक्षण स्थल: NSTL/हार्बर

  • अनुमानित उत्पादन समयसीमा: अगले कुछ महीनों के भीतर

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vikash

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