भारत के इक्विटी बाजार एक ऐतिहासिक खुदरा उछाल का अनुभव कर रहे हैं, क्योंकि अक्टूबर 2025 में NSDL और CDSL में कुल सक्रिय डिमैट खातों की संख्या पहली बार 21 करोड़ के पार पहुंच गई। यह अभूतपूर्व वृद्धि रिकॉर्ड तोड़ IPO सीज़न, मजबूत बाजार प्रदर्शन और खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी से प्रेरित है—खासकर नए निवेशकों की, जिन्हें “फोमो” (FOMO—मिस कर देने का डर) आगे बढ़ा रहा है।
अक्टूबर महीना भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए सबसे व्यस्त महीनों में से एक रहा, जिसमें 33 कंपनियों ने कुल ₹39,140 करोड़ जुटाए। तेजी से बढ़ते शेयर बाजार और डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्लेटफ़ॉर्म्स ने मिलकर व्यक्तिगत निवेशकों में प्रत्यक्ष इक्विटी निवेश की नई उत्सुकता पैदा की है।
डिमैट खाते (अक्टूबर 2025): 21 करोड़
मासिक वृद्धि: 20.7 करोड़ से बढ़कर 21 करोड़
अक्टूबर में जुड़े नए खाते: 30 लाख से अधिक (सितंबर के 24.6 लाख की तुलना में 22% वृद्धि)
डिपॉजिटरी: NSDL और CDSL
टाटा कैपिटल: ₹15,511 करोड़
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स: ₹11,600 करोड़
वीवर्क इंडिया: ₹3,000 करोड़
केनरा HSBC लाइफ इंश्योरेंस: ₹2,517 करोड़
यह पिछले 10 महीनों में डिमैट खातों की सबसे अधिक मासिक वृद्धि है, जो सक्रिय IPO कैलेंडर से उत्पन्न उत्साह को दर्शाती है।
डिमैट खातों में उछाल का सीधा संबंध बाज़ार सूचकांकों में तेज़ी से है:
सेंसेक्स और निफ्टी: अक्टूबर में लगभग 3% बढ़े
बीएसई मिडकैप: 4% उछला
बीएसई स्मॉलकैप: 3% बढ़ा
बाज़ार में इस मजबूती ने रिटेल निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ाया, जिससे IPO और सेकेंडरी मार्केट दोनों में भागीदारी बढ़ी।
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर पुनीत सिंघानिया के अनुसार, निवेशकों की प्राथमिकताएँ बदल रही हैं—कई लोग म्यूचुअल फंड और SIP के बजाय सीधे शेयर बाज़ार में निवेश को चुन रहे हैं। SIP प्रवाह स्थिर रहने के बावजूद IPO और अल्पकालिक लाभ की उम्मीद ने डायरेक्ट इक्विटी में रुचि फिर से जगाई है।
अक्टूबर में भारत के IPO बाज़ार में कुल 33 नए लिस्टिंग्स हुईं, जिनमें मुख्य बोर्ड और SME प्लेटफ़ॉर्म दोनों शामिल थे।
टाटा कैपिटल (₹15,511 करोड़): साल के सबसे बड़े IPO में से एक
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया (₹11,600 करोड़): बहुप्रतीक्षित तकनीकी लिस्टिंग
वीवर्क इंडिया (₹3,000 करोड़): कोवर्किंग से लेकर स्टॉक मार्केट तक का सफर
ऑर्कला इंडिया, केनरा रोबेको AMC, रुबिकॉन रिसर्च: विविध क्षेत्रीय पेशकशें
लिस्टिंग गेन, ओवरसब्सक्रिप्शन और UPI आधारित आसान एप्लिकेशन प्रक्रिया ने रिटेल निवेशकों को आकर्षित किया।
फिनटेक ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आसान डिमैट खाता खोलने ने इस वृद्धि में बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि, कई निवेशकों द्वारा एक से अधिक खाते खोलने की वजह से कुल संख्या और भी बढ़ी है, जैसा कि वेल्थ विज़डम इंडिया के MD कृष्ण पाटवारी ने बताया।
NSE के आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि—
टॉप 25 ब्रोकर्स के सक्रिय क्लाइंट्स की संख्या अक्टूबर में 57,000 कम हुई
सक्रिय डिमैट खाते: 4.52 करोड़
इससे स्पष्ट है कि भले ही नए खाते बढ़ रहे हों, लेकिन सक्रिय भागीदारी में लगातार सुधार की ज़रूरत है।
नए निवेशकों की प्रकृति तेजी से बदल रही है:
पहली बार निवेश करने वाले लोग तेज़ी के दौरान बाज़ार में प्रवेश कर रहे हैं
मिलेनियल और जेन Z निवेशक ऑनलाइन खाता खोलने में अग्रणी हैं
कई लोग लंबी अवधि के पोर्टफोलियो की जगह IPO आधारित निवेश को चुनते हैं
वित्तीय बाज़ार के प्रति जागरूकता बढ़ रही है
हालाँकि निवेश का यह लोकतंत्रीकरण स्वागत योग्य है, लेकिन इससे बाज़ार टाइमिंग, सट्टेबाज़ी और वित्तीय शिक्षा जैसी चिंताएँ भी बढ़ती हैं।
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