छात्रों के लिए दुनिया के सबसे अच्छे शहरों की सूची जारी हो चुकी है। इसमें दिल्ली दुनिया के सबसे किफायती शहरों की सूची में पहले नंबर पर है। टॉप-15 किफायती शहरों की सूची में भारत से दिल्ली के बाद मुंबई का नाम शामिल है और इसके बाद बैंगलोर आता है। क्यूएस सर्वश्रेष्ठ छात्र शहर रैंकिंग 2026 के अनुसार, भारत में छात्रों के लिए मुंबई सबसे अच्छा शहर है, उसके बाद दिल्ली, बैंगलोर और चेन्नई का स्थान है।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
QS बेस्ट स्टूडेंट सिटीज़ रैंकिंग्स, जो प्रतिवर्ष क्वाक्क्वेरेली साइमंड्स (Quacquarelli Symonds) द्वारा प्रकाशित की जाती हैं, विद्यार्थियों और विश्वविद्यालयों दोनों के लिए महत्वपूर्ण कई संकेतकों पर आधारित होती हैं। इनमें शैक्षणिक प्रतिष्ठा, छात्र विविधता, किफायती जीवन, नियोक्ताओं की सक्रियता, और शहर की आकर्षकता शामिल हैं। हाल के वर्षों में भारतीय संस्थानों ने वैश्विक विश्वविद्यालय रैंकिंग्स में उल्लेखनीय प्रगति की है, और अब भारतीय शहर भी छात्रों के लिए अनुकूल वातावरण वाले शहरों की रैंकिंग में ऊपर चढ़ने लगे हैं। 2026 संस्करण यह दर्शाता है कि भारतीय महानगर अब केवल शीर्ष संस्थानों के गढ़ नहीं रह गए हैं, बल्कि गुणवत्ता और किफायत के लिहाज से भी छात्रों के लिए अधिक अनुकूल बनते जा रहे हैं।
रैंकिंग्स का उद्देश्य और लक्ष्य
QS बेस्ट स्टूडेंट सिटीज़ रैंकिंग्स का मुख्य उद्देश्य छात्रों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हितधारकों को यह मूल्यांकन करने में मदद करना है कि कोई शहर उच्च शिक्षा के लिए कितना उपयुक्त है। इन रैंकिंग्स का एक अन्य उद्देश्य शहरों और सरकारों को उनके शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक वातावरण में सुधार के लिए प्रेरित करना भी है। भारत जैसे देशों के लिए, इन रैंकिंग्स में सुधार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण और ‘स्टडी इन इंडिया’ पहल के तहत विदेशी छात्रों को आकर्षित करने जैसे नीति-गत लक्ष्यों से जोड़ा जा सकता है।
मुख्य विशेषताएँ और भारत का प्रदर्शन
QS बेस्ट स्टूडेंट सिटीज़ रैंकिंग्स 2026 में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई—इन सभी भारतीय शहरों ने पिछले वर्ष की तुलना में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। विशेष रूप से दिल्ली ने वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक 96.5 अंकों के साथ अफॉर्डेबिलिटी इंडेक्स (किफायती जीवन सूचकांक) में पहला स्थान प्राप्त किया। मुंबई ने एक बार फिर शीर्ष 100 शहरों में प्रवेश किया और 98वें स्थान पर पहुंच गई। बेंगलुरु ने 22 पायदान की शानदार छलांग लगाते हुए 108वीं रैंक हासिल की, जबकि चेन्नई 140वें स्थान से बढ़कर अब 128वें स्थान पर आ गई है।
यह प्रगति इन शहरों में मौजूद मजबूत शैक्षणिक संस्थानों की ताकत को दर्शाती है। मुंबई में आईआईटी बॉम्बे और मुंबई विश्वविद्यालय हैं, दिल्ली में आईआईटी दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय, बेंगलुरु में आईआईएससी और आईआईएम बैंगलोर, जबकि चेन्नई में आईआईटी मद्रास और अन्ना यूनिवर्सिटी स्थित हैं। ये संस्थान न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शैक्षणिक प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
किफायती शिक्षा और रोजगार की संभावनाएँ
भारत की रैंकिंग में सुधार का एक प्रमुख कारण इसकी शिक्षा और जीवन यापन की अपेक्षाकृत कम लागत है, विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन या ऑस्ट्रेलिया जैसे लोकप्रिय गंतव्यों की तुलना में। QS के अफॉर्डेबिलिटी स्कोर में दिल्ली ने दुनिया भर में पहला स्थान पाया, जबकि बेंगलुरु और चेन्नई ने क्रमशः 84.3 और 80.1 के मजबूत स्कोर के साथ शीर्ष स्थानों पर कब्जा जमाया।
किफायती जीवन स्तर के अलावा, भारतीय शहर अब रोजगार की दृष्टि से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह संकेतक यह मापता है कि किसी शहर के स्नातकों को नौकरी बाजार में कितनी मान्यता मिलती है। इस श्रेणी में दिल्ली और मुंबई ने वैश्विक शीर्ष 50 में स्थान प्राप्त किया। बेंगलुरु ने 41 पायदान की छलांग लगाकर 59वां स्थान प्राप्त किया, जबकि चेन्नई ने 29 स्थानों का सुधार दिखाया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उद्योग और व्यवसाय अब भारत की शिक्षा प्रणाली पर पहले से अधिक भरोसा करने लगे हैं।
नीति और शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य
वैश्विक शिक्षा रैंकिंग में भारतीय शहरों का उभार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की दृष्टि के अनुरूप है, जो उच्च शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीयकरण, अनुसंधान और गुणवत्ता सुधार को बढ़ावा देती है। यह प्रगति QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स 2025 की सकारात्मक प्रवृत्तियों के साथ भी मेल खाती है, जहाँ लगभग आधे भारतीय संस्थानों ने अपनी वैश्विक रैंकिंग में सुधार किया। विशेष रूप से, IIT दिल्ली ने 27 स्थानों की छलांग लगाई और भारत का शीर्ष विश्वविद्यालय बना रहा, जिससे दिल्ली की छात्र शहर रैंकिंग में वृद्धि को और बल मिला।
महत्त्व
QS बेस्ट स्टूडेंट सिटीज़ 2026 में भारत का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि देश धीरे-धीरे एक वैश्विक शिक्षा केंद्र में परिवर्तित हो रहा है। यह दर्शाता है कि भारतीय शहर न केवल किफायती हैं, बल्कि शैक्षणिक गुणवत्ता और करियर संभावनाओं के मामले में भी प्रतिस्पर्धी बनते जा रहे हैं। जैसे-जैसे सरकार शिक्षा सुधारों को लागू कर रही है और सार्वजनिक संस्थानों में निवेश बढ़ा रही है, वैसे-वैसे भारतीय महानगर आने वाले समय में घरेलू ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए भी और अधिक आकर्षक बनते जाएंगे।