दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के मामलों को संभालने के लिए प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति (सीओए) के गठन का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा कि खेल संहिता का पालन करने के लिए आईओए की ‘लगातार अनिच्छा’ ने अदालत को मजबूर कर दिया कि इसके मामलों की देखरेख की जिम्मेदारी सीओए को सौंपी जाये।
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सदस्यीय समिति (सीओए) सदस्यों में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी, और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विकास स्वरूप शामिल है। अदालत ने आईओए की कार्यकारी समिति को नव नियुक्त समिति को कार्यभार सौंपने का निर्देश दिया और कहा कि सीओए के सदस्यों की मदद तीन प्रतिष्ठित खिलाड़ी (पूर्व ओलंपियन) करेंगे। इसमें निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, लंबी कूद की खिलाड़ी अंजू बॉबी जॉर्ज, और तीरंदाज बोम्बायला देवी लैशराम शामिल है।
आईओए को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा भारत के राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के रूप में मान्यता प्राप्त है। अदालत ने पदाधिकारियों के कार्यकाल और मतदान के अधिकार से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से विचार करने के बाद आईओए में किसी व्यक्ति के लिए ‘आजीवन अध्यक्ष’ और किसी अन्य स्थायी पद को अवैध करार दिया।अदालत ने कहा कि अध्यक्ष और किसी और पदाधिकारी को कार्यकाल एक चुनाव के बाद अधिकतम तीन साल का होगा।
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