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रक्षा मंत्रालय ने 45,000 करोड़ रुपये के सैन्य साजोसामान की खरीद को मंजूरी

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रक्षा मंत्रालय ने लगभग 45,000 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न हथियार प्रणालियों और अन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी, जिनमें हवा से सतह पर मार करने वाले कम दूरी के प्रक्षेपास्त्र ध्रुवास्त्र एवं 12 एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने कुल नौ खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये सभी खरीद भारतीय विक्रेताओं से की जाएगी, जिनसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारतीय रक्षा उद्योग को पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा, गतिशीलता, हमले की क्षमता और मशीनीकृत बलों की उत्तरजीविता बढ़ाने के लिए, डीएसी ने हल्के बख्तरबंद बहुउद्देशीय वाहन और एकीकृत निगरानी और लक्ष्यीकरण प्रणाली (आईएसएटी-एस) की खरीद को मंजूरी दे दी है। डीएसी ने तोप और राडार को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने और उनकी तैनाती के लिए हाई मोबिलिटी व्हीकल (एचएमवी) की खरीद को भी मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने भारतीय नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के सर्वेक्षण जहाजों की खरीद को भी मंजूरी दे दी। इसमें कहा गया है कि डोर्नियर विमान के वैमानिकी उन्नयन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायु सेना के एक प्रस्ताव को भी आवश्यकतानुसार स्वीकृति (एओएन) दी गई थी।

 

‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि ये सभी खरीद भारतीय विक्रेताओं से खरीदें भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन विकसित और निर्मित (आईडीडीएम)/खरीदें (भारतीय) श्रेणी के तहत की जाएंगी। यह कदम स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करके ‘आत्मनिर्भर भारत’ या आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।

 

भारतीय वायु सेना का उन्नयन

Su-30MKI खरीद के अलावा, भारतीय वायु सेना को महत्वपूर्ण उन्नयन प्राप्त होने वाला है। डीएसी ने डोर्नियर विमानों के लिए एवियोनिक अपग्रेड को मंजूरी दे दी, जिससे संचालन के लिए उनकी सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ गई। इसके अलावा, ध्रुवस्त्र शॉर्ट रेंज एयर-टू-सरफेस मिसाइल, एक शक्तिशाली स्वदेशी सटीक-निर्देशित हथियार, स्वदेशी रूप से निर्मित ALH Mk-IV हेलिकॉप्टरों के लिए प्रदान किया जाएगा। इन संवर्द्धनों से वायु सेना की क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार होगा।

 

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