भारत के नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृण्णन को चुन लिया गया है। उन्हें 452 वोट मिले हैं। इसी के साथ सीपी राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। 67 वर्षीय राधाकृष्णन, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे हैं। अब वह उपराष्ट्रपति का पद संभालेंगे। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी (वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश) को पराजित किया। इस चुनाव में 98.3% की रिकॉर्ड मतदान प्रतिशतता दर्ज की गई, जो संसद सदस्यों की एकजुटता और सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। 17 साल की उम्र से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं। बीजेपी के साथ उनका लंबा सफर रहा है। उनका राजनीतिक सफर 1998 में शुरू हुआ, जब वे कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वे 1998 और 1999 के आम चुनावों में लगातार दो बार सांसद बने।
चुनाव तिथि: 9 सितंबर 2025
मतदान प्रतिशत: 781 में से 767 सांसदों ने वोट डाले, जिनमें से 752 मान्य और 15 अमान्य पाए गए।
निर्वाचन मंडल की कुल शक्ति: 781 सांसद (लोकसभा + राज्यसभा)
एनडीए उम्मीदवार: सी. पी. राधाकृष्णन
विपक्षी उम्मीदवार: बी. सुदर्शन रेड्डी
परिणाम: सी. पी. राधाकृष्णन ने स्पष्ट बहुमत से जीत दर्ज की।
एनडीए के पास कुल 425 सांसद, जिनमें से भाजपा के 342 सांसद थे।
विपक्षी खेमे के पास 324 सांसद, जिनमें से कांग्रेस के पास 126 सीटें थीं।
बीजेडी, बीआरएस और शिरोमणि अकाली दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने मतदान से दूरी बनाई, जिससे विपक्ष की संभावनाएँ कमजोर हो गईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 10 बजे सबसे पहले वोट डाला।
दोपहर 3 बजे तक 96% मतदान दर्ज हुआ, जो बाद में बढ़कर 98.3% हो गया।
राधाकृष्णन के गृह नगर तिरुप्पुर में लोगों ने जश्न मनाया—भोजन स्टॉल लगाए गए, पटाखे फोड़े गए और विशेष प्रार्थनाएँ की गईं।
प्रमुख मतदाता: सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, अखिलेश यादव और देवगौड़ा ने मतदान किया।
इंजीनियर राशिद, जो बारामूला से जेल में बंद सांसद हैं, ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था के तहत वोट डाला।
सी. पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु से चुने जाने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति बने, उनसे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन यह पद संभाल चुके थे।
उनकी जीत एनडीए की संसद में मजबूत पकड़ और सहयोगी दलों, विशेषकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के समर्थन को दर्शाती है।
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं, जिससे राधाकृष्णन को संसदीय कार्यों में अहम भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।
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