जानें क्या है आर्टिकल 240 जिसके दायरे में चंडीगढ़ को लाना चाहती है सरकार

भारत सरकार संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 लाने की तैयारी में है, जिसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के अंतर्गत लाना है। यह कदम चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है और उसे उन अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में शामिल करेगा जो सीधे राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए विनियमों के तहत संचालित होते हैं। वर्तमान में चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल के हाथों में है, जो पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी होने की ऐतिहासिक व्यवस्था से जुड़ा है। प्रस्तावित संशोधन से चंडीगढ़ के लिए स्वतंत्र और स्पष्ट प्रशासनिक संरचना बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, जिससे शासन और नीति-निर्माण प्रक्रियाएं अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बनेंगी।

अनुच्छेद 240 क्या है?

अनुच्छेद 240 भारत के राष्ट्रपति को कुछ केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) के लिए शांति, प्रगति और सुशासन से संबंधित विनियम (Regulations) बनाने का अधिकार देता है। वर्तमान में यह अधिकार निम्नलिखित केंद्रशासित प्रदेशों पर लागू होता है—

  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह

  • लक्षद्वीप

  • दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव

  • पुडुचेरी (केवल तब, जब उसकी विधानसभा निलंबित या भंग हो)

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, चंडीगढ़ को भी इस सूची में शामिल किया जाएगा, जिससे राष्ट्रपति को चंडीगढ़ के लिए भी प्रत्यक्ष रूप से विनियम बनाने का अधिकार मिल जाएगा।

संशोधन क्या प्रस्तावित करता है?

  • चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के अंतर्गत लाना: इससे चंडीगढ़ का प्रशासन अब पंजाब के राज्यपाल के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए विनियमों से संचालित होगा।

  • अन्य विधानसभा-रहित UTs के अनुरूप शासन: इसका मतलब है कि चंडीगढ़ का प्रशासन उन केंद्रशासित प्रदेशों जैसा होगा, जिनकी अपनी विधानसभाएं नहीं हैं।

  • स्वतंत्र प्रशासक की नियुक्ति का रास्ता: इससे चंडीगढ़ के लिए पंजाब से अलग एक स्वतंत्र प्रशासक या उपराज्यपाल (LG) नियुक्त करने का मार्ग खुल सकता है।

संवैधानिक और राजनीतिक महत्व

यह कदम प्रशासनिक के साथ-साथ राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है—

1. संघीय संवेदनशीलताएँ

चंडीगढ़ लंबे समय से पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी रहा है। अनुच्छेद 240 के तहत लाने से दोनों राज्यों के बीच इसके “अधिकार” को लेकर राजनीतिक बहस बढ़ सकती है।

2. विकेंद्रीकरण बनाम केंद्रीकरण

जहाँ यह संशोधन प्रशासनिक स्पष्टता लाता है, वहीं यह चिंता भी पैदा करता है कि इससे केंद्र के अधिकार और अधिक सशक्त होकर राज्यों के अधिकार कमज़ोर न हो जाएँ।

3. संभावित प्रशासनिक पुनर्गठन

विधेयक पारित होने पर चंडीगढ़ की शासन-व्यवस्था स्थायी रूप से बदल सकती है, और उसका “साझी राजधानी” वाला विशिष्ट दर्जा समाप्त हो सकता है।

मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक अनुच्छेद 240 में संशोधन से संबंधित एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पहल है।

  • यह विधानसभा रहित UTs की प्रशासनिक संरचना को और स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।

  • यह कदम केंद्र–राज्य संबंधों तथा साझा राजधानी वाले शहरों की राजनीतिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

  • यह भारत की बढ़ती संघीय प्रशासनिक सुधारों (federal reforms) की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

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vikash

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