केंद्र सरकार ने कहा कि सरकारी कंपनियां कोल इंडिया, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) विदेशों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और सक्रिय रूप से करेंगे। कोल इंडिया और एनएमडीसी पहले से ही चिली और ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे हैं।
ओवीएल सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की विदेशी निवेश कंपनी है। इन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की विदेश में पहले से ही किसी न किसी तरह की मौजूदगी है। केंद्रीय खान सचिव वीएल कांथा राव ने अपतटीय खनन पर एक कार्यशाला के अवसर पर कहा कि सचिवों के समूह (संसाधनों पर) ने फैसला लिया है कि कोल इंडिया, एनएमडीसी, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड समेत अन्य कंपनियां आगे बढ़ें और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज पर भी ध्यान दें।
हालांकि खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) विदेशों में खनिज संपत्तियों की खोज के लिए गठित तीन सार्वजनिक उपक्रमों का एक संयुक्त उद्यम है। इसका स्वामित्व तीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लि. (नाल्को), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) के पास है।
कोल इंडिया ने चिली में लिथियम ब्लॉकों की सक्रिय खोज शुरू कर दी है, जो महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने की दिशा में उसके सक्रिय दृष्टिकोण का संकेत है। इसी तरह, एनएमडीसी पहले से ही ऑस्ट्रेलिया में खनन कार्यों में लगा हुआ है, सोने की खदानों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और लिथियम खनन में अवसर तलाश रहा है। ये प्रयास भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों की अपने खनिज पोर्टफोलियो में विविधता लाने और आपूर्ति जोखिमों को कम करने की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।
भारत तांबा, लिथियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिज संपत्तियों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए चिली और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ सक्रिय रूप से साझेदारी तलाश रहा है। महत्वपूर्ण खनिजों के प्रावधानों को शामिल करने के लिए मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का विस्तार करने के प्रयास चल रहे हैं, जिससे इन संसाधनों तक सरकार-से-सरकार की पहुंच आसान हो सके। इसके अतिरिक्त, भारत महत्वपूर्ण खनिज भंडारों का दोहन करने के लिए जाम्बिया जैसे देशों के साथ संयुक्त अन्वेषण उद्यम तलाश रहा है।
तांबा, लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिज पवन टरबाइन, इलेक्ट्रिक वाहन और बिजली नेटवर्क सहित विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के अभिन्न अंग हैं। जैसे-जैसे इन खनिजों की मांग बढ़ती जा रही है, सतत विकास को चलाने और ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना सर्वोपरि हो जाता है।
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