भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) डीवाई चंद्रचूड़ ने अन्य न्यायाधीशों के साथ भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) के परिसर में ‘मिट्टी कैफे’ (Mitti cafe) का उद्घाटन किया। नवनिर्मित कैफे पूरी तरह से दिव्यांग कर्मचारियों द्वारा चलाया जाता है। कैफ़े के प्रबंधक दृष्टिबाधित हैं, उन्हें सेलेब्रल पाल्सी है। इस अवसर पर एक छोटे सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें दिव्यांगों ने प्रस्तुति दी। इस मौके पर राष्ट्रगान भी सांकेतिक भाषा में गाया गया था।
उद्घाटन समारोह के दौरान सीजेआई ने सभी से कैफे में आने और इस पहल का समर्थन करने का अनुरोध किया। मिट्टी कैफे एक एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा है जो विशेष जरूरतों वाले लोगों के साथ काम करता है।
बता दें, मिट्टी कैफे एक एनजीओ द्वारा शुरू किया गया है, जो विशेष जरूरतों वाले लोगों के साथ काम करता है। उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करता है। मिट्टी कैफे की निदेशक आयशा आलम ने बताया, ‘मिट्टी कैफे से विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए रोजगार बढ़ेगा। करीब 500 दिव्यांग 500 दिव्यांग लोग कैफे से सीधे जुड़े हुए हैं और 1200 विकलांग कैफे से जुड़े हैं।’
बता दें, एनजीओ ने साल 2017 में काम करना शुरू किया था। तबसे लेकर अबतक पूरे भारत में 41 ऐसे कैफे खोल चुका है और दिव्यांग लोगों के लिए काम करने के अवसर खोल दिए। एनजीओ की सीईओ-संस्थापक अलीना आलम हैं। एनजीओ को एक महिला नेतृत्व टीम द्वारा चलाया जाता है।
भारत में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की स्थापना 1774 में “1773 के रेगुलेटिंग एक्ट” के तहत हुई थी । तब इसे कलकत्ता सर्वोच्च न्यायालय कहा जाता था और इसमें एक मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 3 अन्य न्यायाधीश होते थे ।
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