चीन जल्द ही अपना तियानवेन-2 मिशन लॉन्च करने वाला है, जिसका लक्ष्य निकट-पृथ्वी के एक रहस्यमय क्वासी-सैटेलाइट (आंशिक उपग्रह) क्षुद्रग्रह 469219 कामोओलेवा से नमूने इकट्ठा करना है। इस मिशन में सफलता मिलने पर चीन उन कुछ देशों में शामिल हो जाएगा जो क्षुद्रग्रह से पृथ्वी पर सामग्री लाने में सक्षम हैं, जिनमें फिलहाल सिर्फ अमेरिका और जापान ही शामिल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन क्वासी-सैटेलाइट्स और चंद्रमा के मूल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है।
खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
तियानवेन-2 मिशन इस सप्ताह लॉन्च होने वाला है, जिसका उद्देश्य क्षुद्रग्रह कामोओलेवा का सर्वेक्षण करना और उससे नमूने इकट्ठा करना है। इस क्षुद्रग्रह की अनूठी कक्षा और संभवतः इसका चंद्रमाई मूल इसे वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह मिशन चीन की अंतरिक्ष शक्ति के रूप में बढ़ती स्थिति को दर्शाता है और खगोलीय गतिशीलता और ग्रहों के इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दे सकता है।
तियानवेन-2 मिशन के मुख्य तथ्य
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लक्ष्य क्षुद्रग्रह: 469219 कामोओलेवा – 2016 में खोजा गया एक क्वासी-सैटेलाइट।
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मिशन का प्रकार: क्षुद्रग्रह सर्वेक्षण और नमूना वापसी मिशन।
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नमूना संग्रह तकनीकें:
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टच-एंड-गो (स्पर्श करके नमूना लेना)
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एंकर-एंड-अटैच (आधार बनाकर जुड़ना) – बैकअप तकनीक।
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मिशन के चरण:
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क्षुद्रग्रह की सतह से नमूने लेना।
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नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना।
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इसके बाद मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट की ओर बढ़ना और और अन्वेषण करना।
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कामोओलेवा क्यों खास है?
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पृथ्वी के केवल सात ज्ञात क्वासी-सैटेलाइट्स में से एक।
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यह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता है, लेकिन अपनी अनूठी दीर्घवृत्ताकार कक्षा के कारण ऐसा लगता है कि यह पृथ्वी के चारों ओर भी घूम रहा है।
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लगभग 100 वर्षों से अपनी वर्तमान कक्षा में है और अगले 300 वर्षों तक बने रहने की उम्मीद है।
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माना जाता है कि यह चंद्रमा की सामग्री से बना हो सकता है, जो किसी टक्कर के कारण वहाँ से निकला होगा।
वैज्ञानिक महत्व
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क्वासी-सैटेलाइट्स के निर्माण और विकास की समझ।
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चंद्रमा के उत्पत्ति के दिग्गज प्रभाव सिद्धांत की जांच।
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निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष वस्तुओं के गुरुत्वाकर्षणीय गतिशीलता पर जानकारी।
तकनीकी चुनौतियाँ
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कामोओलेवा का आकार बहुत छोटा है (40-100 मीटर व्यास), जिससे उस पर उतरना कठिन होता है।
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उन्नत इमेजिंग, नेविगेशन, और नमूना संग्रह तंत्र की आवश्यकता।
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चीन NASA के OSIRIS-REx और जापान की JAXA के Hayabusa2 मिशन की नमूना संग्रह तकनीकों को दोहराने और बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है।