चीन ने हाल ही में युन्नान प्रांत में लार्ज फेज़ड अरे रडार (LPAR) प्रणाली तैनात की है, जो भारत के खिलाफ उसकी निगरानी क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है। यह रडार भारत-Myanmar सीमा के पास स्थित है और इसकी व्यापक रेंज एवं उन्नत ट्रैकिंग क्षमताओं के कारण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
विस्तारित रेंज: यह रडार 5,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक निगरानी कर सकता है, जिससे भारतीय क्षेत्र और हिंद महासागर के बड़े हिस्से को कवर किया जा सकता है।
उन्नत ट्रैकिंग क्षमताएँ: इलेक्ट्रॉनिकली नियंत्रित एंटेना प्रणाली से यह रडार तेज़ी से बड़े क्षेत्रों को स्कैन कर सकता है और एक साथ कई लक्ष्यों को सटीक रूप से ट्रैक कर सकता है। यह बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों और अन्य हवाई गतिविधियों की निगरानी के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
रणनीतिक स्थिति: यह रडार भारत के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लगभग 2,000–2,200 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है, जो अग्नि-V और K-4 मिसाइल परीक्षणों के प्रमुख केंद्र हैं। इससे चीन को भारत के मिसाइल परीक्षणों की वास्तविक समय में निगरानी करने की क्षमता मिलती है।
खुफिया जानकारी जुटाना: LPAR रडार भारत की मिसाइल लॉन्च गतिविधियों का विश्लेषण कर सकता है, जिससे चीन को भारतीय मिसाइल क्षमताओं से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त हो सकता है और वह इनके लिए काउंटरमेजर विकसित कर सकता है।
विस्तारित निगरानी: यह रडार बंगाल की खाड़ी और व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री गतिविधियों की निगरानी करने की चीन की क्षमता को बढ़ा सकता है, जो भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।
रडार क्षमताओं में वृद्धि: भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में ₹2,906 करोड़ की लागत से Bharat Electronics Ltd के साथ 18 ‘अश्विनी’ लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार (LLTR) का करार किया है। ये स्वदेशी प्रणाली भारतीय वायुसेना की ड्रोन और हेलीकॉप्टर जैसी निम्न-उड़ान वाली हवाई खतरों को ट्रैक करने की क्षमता को मजबूत करेगी।
काउंटर-सर्विलांस रणनीतियाँ: भारत अपने मिसाइल कार्यक्रमों को सुरक्षित बनाने और रणनीतिक प्रतिरोध बनाए रखने के लिए विभिन्न कदम उठा रहा है, ताकि चीन की उन्नत निगरानी क्षमताओं का प्रभाव कम किया जा सके।
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