चीन और अमेरिका के बीच अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर तनाव पैदा हो गया है। इसने दो शक्तिशाली देशों- चीन और अमेरिका के बीच तीव्र तनाव पैदा कर दिया है क्योंकि चीन ताइवान को अपने एक पृथकतावादी प्रांत के रूप में देखता है। पिछले 25 सालों में ये अमेरिका के किसी उच्चस्तरीय राजनेता की ये पहली ताइवान यात्रा है।
Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams
चीन ताइवान को अपने से अलग हुआ एक प्रांत मानता है और उसे लगता है कि अंततः वो चीन के नियंत्रण में आ जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि ताइवान का “एकीकरण” पूरा होकर रहेगा. उन्होंने इसे हासिल करने के लिए ताक़त के इस्तेमाल को भी ख़ारिज नहीं किया है। मगर ताइवान ख़ुद को एक स्वतंत्र देश मानता है जिसका अपना संविधान और अपने चुने हुए नेताओं की सरकार है।
ताइवान एक द्वीप है जो चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग 100 मील दूर है। चीन मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो अंतत: एक दिन फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा। दूसरी तरफ, ताइवान ख़ुद को एक आज़ाद देश मानता है। उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है। ये ”फ़र्स्ट आइलैंड चेन” या ”पहली द्वीप शृंखला’ नाम से कहे जाने वाले उन टापुओं में गिना जाता है जिसमें अमेरिका के क़रीबी ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जो अमेरिकी विदेश नीति के लिए अहम माने जाते हैं।
[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]केरल में स्थित कोझिकोड, जिसे कालीकट के रूप में भी जाना जाता है, को भारत…
भारत के आठ प्रमुख उद्योगों ने नवंबर 2025 में 1.8% का उछाल देखा, जिसका मुख्य…
भारत सरकार द्वारा बंदरगाह और पोत सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो…
एक नए शोध ने दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण संकट को फिर से उजागर किया…
सुप्रीम कोर्ट के वकील शुभम अवस्थी को जनहित याचिका और भारत के न्यायिक तंत्र पर…
अरावली पर्वत श्रृंखला, जो दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक मानी जाती…