चीन के युन्नान प्रांत में वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों की किडनी में दो नए हेनिपा वायरस की पहचान की है, जो इंसानों में जानलेवा निपाह और हेंड्रा वायरस जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं। ये वायरस मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफेलाइटिस) और गंभीर श्वसन संक्रमण का कारण बन सकते हैं। चूंकि ये वायरस किडनी में पाए गए हैं – जो मूत्र उत्पादन का अंग है – विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चमगादड़ों के मूत्र से दूषित फल या पानी के माध्यम से ये इंसानों तक पहुंच सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चमगादड़ इंसानों के निवास के पास रहते हैं।
एक वैज्ञानिक टीम ने 2017 से 2021 के बीच युन्नान प्रांत में 142 चमगादड़ों पर अध्ययन किया। इनमें से 22 अलग-अलग वायरस पाए गए, जिनमें से दो वायरस निपाह और हेंड्रा से बेहद मिलते-जुलते हैं। यह खोज COVID-19 महामारी के बाद बढ़ती ज़ूनोटिक (पशुजन्य) बीमारियों पर वैज्ञानिक ध्यान के बीच सामने आई है।
स्थान: युन्नान, चीन
समय: 2017–2021
नमूने: 142 चमगादड़ों की किडनी
तकनीक: जीन अनुक्रमण (genetic sequencing)
वैज्ञानिकों ने दो नए हेनिपा वायरस की पहचान की, जिन्हें नाम दिया गया:
युन्नान बैट हेनिपावायरस 1
युन्नान बैट हेनिपावायरस 2
ये वायरस निपाह और हेंड्रा से आनुवंशिक रूप से मिलते हैं।
चमगादड़ों की किडनी में पाए जाने के कारण मूत्र से फैलने की संभावना है।
दूषित फल और पानी के माध्यम से इंसानों में संक्रमण का खतरा।
ये वायरस पैदा कर सकते हैं:
एन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन)
गंभीर श्वसन रोग
यह पहली बार है जब चीन के चमगादड़ों में ऐसे हेनिपा वायरस के पूर्ण जीनोम पाए गए हैं।
प्रोफेसर विनोद बालासुब्रमण्यम, आणविक विषाणुविज्ञानी:
इस खोज को “चिंताजनक” बताया।
दूषित खाद्य या जल के जरिए मानव संक्रमण की आशंका जताई।
महामारी से बचने के लिए सतर्कता और निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया।
यह खोज दर्शाती है कि:
समय रहते पहचान करना किसी भी महामारी को रोकने के लिए बेहद जरूरी है।
हमें ज़रूरत है:
वैश्विक पैथोजन निगरानी की
ज़ूनोटिक बीमारियों की सतत निगरानी की
सुदृढ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की
यह खोज फिर से याद दिलाती है कि वन्य जीवन, कृषि और मानव स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
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