छत्तीसगढ़ के बालोद जिले को सामाजिक सुधार में ऐतिहासिक सफलता के रूप में भारत का पहला बाल-विवाह मुक्त जिला घोषित किया गया है। यह मान्यता “चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया” अभियान के तहत दी गई है, जिसे पूरे देश में 27 अगस्त 2024 को लॉन्च किया गया था।
बालोद ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की
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दो वर्षों में शून्य मामले: पिछले दो वर्षों में जिले में बाल-विवाह के कोई मामले नहीं दर्ज हुए।
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सत्यापन प्रक्रिया: दस्तावेज़ों की जांच और कानूनी प्रक्रियाओं के बाद बालोद के 436 ग्राम पंचायतों और 9 शहरी निकायों को बाल विवाह मुक्त प्रमाणित किया गया।
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सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय प्रतिनिधियों और परिवारों ने जागरूकता फैलाने और नियमों के पालन में सक्रिय भूमिका निभाई।
बालोद के जिला कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने बताया कि यह सफलता पूरे देश के लिए एक मॉडल है।
सरकारी स्वीकृति
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने इसे “सामाजिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया और घोषणा की कि संपूर्ण राज्य 2028-29 तक बाल विवाह मुक्त होगा।
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महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवड़े ने कहा कि बालोद की सफलता साबित करती है कि जब समाज और सरकार मिलकर काम करते हैं तो इस कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में व्यापक प्रभाव
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पीएम नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर सूरजपुर जिले की 75 ग्राम पंचायतों को भी बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया।
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UNICEF ने तकनीकी सहायता, जागरूकता कार्यक्रम और निगरानी तंत्र प्रदान किया, जिससे प्रगति तेज हुई।
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यह गति राज्य के अन्य जिलों में भी फैलाने की योजना है, और अभियान पहले से ही तेज किया जा रहा है।
महत्व
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बालोद की यह उपलब्धि भारत का पहला आधिकारिक रूप से प्रमाणित बाल विवाह मुक्त जिला है।
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यह राष्ट्रीय मानक स्थापित करता है।
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यह संदेश मजबूत करता है कि जमीनी स्तर की भागीदारी और सरकारी समर्थन मिलकर हानिकारक प्रथाओं को समाप्त कर सकते हैं।
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यह 2028-29 तक छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है।


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