भारत को अपने चंद्रयान-3 मिशन के तहत एक और बड़ी सफलता मिली है। चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान पर लगे पेलोड के माध्यम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सल्फर, ऑक्सीजन और अन्य तत्वों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इस बात की जानकारी खुद इसरो (ISRO) की ओर से दी गई है। हालांकि, ISRO के मुताबिक चंद्रमा के सतह पर अभी भी हाइड्रोजन की खोज जारी है।
ISRO के मुताबिक LIBS नामक पेलोड बेंगलुरु स्थित ISRO की प्रयोगशाला इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम्स (LEOS) में विकसित किया गया है। ISRO ने अपनी वेबसाइट पर 28 अगस्त 2023 को एक आर्टिकल के जरिए बताया कि LIBS इन-सीटू मेजरमेंट के माध्यम से चांद की सतह पर सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि कर रहा है।
दरअसल, LIBS चांद की सतह पर तीव्र लेजर किरणें फेंकता है और फेंकने के बाद एनालिसिस करता है। ये लेजर किरणें अत्यधिक तीव्रता के साथ पत्थर या मिट्टी पर गिरती हैं। इन किरणों से उस सतह पर काफी गर्म प्लाज्मा की उत्पत्ति होती है। यह ठीक वैसा ही होता है, जैसा सूरज से तरफ से आता है। इस प्लाज्मा से निकलने वाली रोशनी की मदद से ही इस बात का पता लगाया जाता है कि सतह पर किस तरह की तत्वों की मौजूदगी है।
ISRO से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक चंद्रमा के सतह पर एल्युमीनियम, सल्फर, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम और टाइटेनियम की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इसका मतलब यह हुआ कि ये तत्व कम या ज्यादा मात्रा चंद्रमा के सतह पर निश्चित रूप से मौजूद हैं। इसके साथ ही मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन की भी उपस्थिति का पता चला है। हालांकि, हाइड्रोजन की मौजूदगी को लेकर अनुसंधान अभी भी जारी है।
23 अगस्त को भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रच दिया था। देश के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की थी। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। जबकि चांद की किसी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भार चौथा देश है। इससे पहले अमेरिका, रूस (तत्कालीन USSR) और चीन ही ऐसा कर पाए हैं।
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