केंद्र ने सुरक्षित, नैतिक तकनीकी नवाचार के लिए एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क का अनावरण किया

भारत जल्द ही अपने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act, 2000) में संशोधन करने जा रहा है ताकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणालियों को औपचारिक रूप से परिभाषित किया जा सके। इसके साथ ही सरकार AI जोखिम मूल्यांकन ढाँचा (AI Risk Assessment Framework) और राष्ट्रीय AI घटनाक्रम डेटाबेस (National AI Incident Database) तैयार कर रही है। ये सभी पहलें भारत की नई “AI शासन दिशानिर्देशों (AI Governance Guidelines)” का हिस्सा हैं, जो अगले वर्ष फरवरी में होने वाले IndiaAI Impact Summit 2025 से पहले देश की राष्ट्रीय AI दृष्टि (National AI Vision) की नींव रखती हैं।

AI के लिए IT अधिनियम में संशोधन क्यों ज़रूरी है?

भारत का मौजूदा IT Act, 2000 उस समय बनाया गया था जब AI तकनीक अस्तित्व में नहीं थी। यह अधिनियम “इंटरमीडियरी” (मध्यस्थ) शब्द को बहुत व्यापक रूप में परिभाषित करता है — जिसमें टेलीकॉम सेवा प्रदाता, सर्च इंजन और साइबर कैफे जैसे संस्थान शामिल हैं।
लेकिन आज की AI प्रणालियाँ अपने आप डेटा उत्पन्न या संशोधित कर सकती हैं, इसलिए इन्हें पारंपरिक डिजिटल कानूनों के तहत समायोजित करना मुश्किल है।

👉 नए संशोधन का उद्देश्य है —

  • AI डेवलपर्स, प्लेटफॉर्म मालिकों और उपयोगकर्ताओं की जवाबदेही स्पष्ट करना,

  • और यह निर्धारित करना कि यदि कोई AI प्रणाली नुकसान पहुँचाती है तो कानूनी जिम्मेदारी किसकी होगी

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव एस. कृष्णन ने कहा है कि सरकार डिजिटल कानूनों को मज़बूत बनाने के उपायों पर काम कर रही है और आवश्यकता पड़ने पर संशोधन लाएगी।

AI शासन दिशानिर्देशों की प्रमुख विशेषताएँ

नवीन दिशानिर्देशों में कई बड़े सुधार प्रस्तावित किए गए हैं:

  1. एआई जोखिम मूल्यांकन ढांचा

    • भारत-केंद्रित मॉडल जो वास्तविक सामाजिक हानि, संवेदनशील समूहों और महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों पर ध्यान देगा।

  2. राष्ट्रीय एआई घटना डेटाबेस

    • एक राष्ट्रीय केंद्रीय प्रणाली, जो देशभर में होने वाली AI-संबंधी घटनाओं को दर्ज और विश्लेषित करेगी।

    • इससे नीति निर्माण, सुरक्षा और निगरानी में मदद मिलेगी।

  3. एआई गवर्नेंस समूह

    • एक अंतर-मंत्रालयी निकाय, जो सभी सरकारी एजेंसियों के बीच नीति समन्वय सुनिश्चित करेगा।

  4. एआई सुरक्षा संस्थान

    • हाल ही में स्थापित संस्थान जो भारत में सुरक्षित और भरोसेमंद AI उपयोग को बढ़ावा देगा।

दस्तावेज़ नियामक सैंडबॉक्स को भी प्रोत्साहित करता है – नियंत्रित परीक्षण वातावरण जो सीमित कानूनी प्रतिरक्षा के तहत नवीन एआई समाधानों को विकसित करने की अनुमति देते हैं। इसके अतिरिक्त, एआई का उपयोग करने वाले संगठनों से शिकायत अपीलीय समिति प्रक्रिया के तहत सुलभ शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करने की अपेक्षा की जाएगी।

डीपफेक्स और कॉपीराइट पर भारत का रुख

डीपफेक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए, MeitY ने IT नियमों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है:

  • उपयोगकर्ताओं को यह घोषित करना होगा कि उनकी सामग्री AI द्वारा निर्मित या संशोधित है।

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तकनीकी सत्यापन उपाय अपनाने होंगे।

कॉपीराइट कानूनों को भी अपडेट करने की सिफारिश की गई है ताकि AI मॉडल प्रशिक्षण में उपयोग किए जाने वाले डेटा का कानूनी और नैतिक उपयोग सुनिश्चित हो सके।
इसके अलावा, यह भी सुझाव दिया गया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म की नई श्रेणियाँ (AI-driven classifications) बनाई जाएँ ताकि AI कार्यक्षमता को समायोजित किया जा सके।

वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति

भारत के इन दिशानिर्देशों को तैयार करने से पहले अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की नीतियों का अध्ययन किया गया।
सरकार चाहती है कि यह ढाँचा ग्लोबल साउथ (Global South) के लिए एक मॉडल फ्रेमवर्क बने, जहाँ कई देशों के पास AI नियमन के लिए संसाधन सीमित हैं।

  • उच्चस्तरीय सलाहकार समूह (Advisory Group) की अध्यक्षता 2023 में डॉ. अजय सूद (Principal Scientific Advisor) को सौंपी गई थी।

  • बाद में आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर बालारमन रविंद्रन के नेतृत्व में एक उपसमिति ने दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार किया।

  • इस प्रक्रिया में 2,500 से अधिक सुझाव सरकार, विश्वविद्यालयों, थिंक टैंक्स और उद्योग विशेषज्ञों से प्राप्त किए गए।

सरकार 2025 के IndiaAI Impact Summit में इस ढाँचे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने की योजना बना रही है।

भारत के AI भविष्य के लिए इसका क्या अर्थ है?

संक्षेप में, ये दिशानिर्देश भारत का पहला बड़ा प्रयास हैं जिसमें नवाचार (innovation) और जवाबदेही (accountability) के बीच संतुलन स्थापित किया गया है।

सरकार का उद्देश्य है कि —

  • कानूनी सुधार,

  • संस्थागत निगरानी, और

  • तकनीकी सुरक्षा उपायों के माध्यम से
    AI का विकास सुरक्षित, नैतिक और मानव-केंद्रित (human-centric) बनाया जाए।

यदि ये सिफारिशें कानून का रूप लेती हैं, तो भारत AI शासन (AI Governance) में विश्व का अग्रणी देश बन सकता है — विशेषकर उन उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए जो AI की शक्ति का उपयोग करना चाहती हैं बिना सार्वजनिक विश्वास और सुरक्षा से समझौता किए।

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vikash

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