केंद्र ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए कच्चे खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क घटाया

महंगाई नियंत्रण और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल सहित प्रमुख कच्चे खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क (Basic Customs Duty) को 20% से घटाकर 10% कर दिया है। यह निर्णय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा घोषित किया गया है। इसका उद्देश्य खुदरा कीमतों में गिरावट लाना, घरेलू रिफाइनिंग को प्रोत्साहित करना और यह सुनिश्चित करना है कि इसका लाभ उपभोक्ताओं और किसानों — दोनों तक पहुंचे।

समाचार में क्यों?

सरकार ने प्रमुख कच्चे खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया है। यह कदम आयात लागत को कम करेगा, खुदरा कीमतों को नियंत्रित करेगा और देश में खाद्य तेल बाजार को स्थिर बनाने में मदद करेगा। सरकार ने सभी संबंधित पक्षों को परामर्श जारी किया है ताकि उपभोक्ताओं को इसका सीधा लाभ मिले।

इस कदम के उद्देश्य

  • खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों को कम करना।

  • आयातित कच्चे तेल की “लैंडेड कॉस्ट” घटाना।

  • रिफाइंड तेल पर शुल्क अंतर बढ़ाकर घरेलू रिफाइनिंग को बढ़ावा देना

  • किसानों को समर्थन और बाजार में निष्पक्ष मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करना।

  • खाद्य महंगाई को कम करना।

प्रमुख बिंदु

सीमा शुल्क में कटौती

  • 20% से घटाकर 10%

  • सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल पर लागू।

नया शुल्क अंतर 

  • कच्चे और रिफाइंड तेल के बीच शुल्क अंतर 8.75% से बढ़ाकर 19.25% किया गया।

  • इससे देश में रिफाइनिंग अधिक लाभदायक होगी।

अपेक्षित प्रभाव

  • खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में गिरावट।

  • घरेलू रिफाइनर्स और उद्योग को प्रोत्साहन।

  • महंगाई से जूझ रहे परिवारों को राहत।

पृष्ठभूमि

  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक देशों में से एक है।

  • घरेलू खपत का बड़ा हिस्सा आयात से पूरा होता है।

  • वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं घरेलू कीमतों को प्रभावित कर रही थीं।

सरकार के पूर्व कदम:

  • जमाखोरों पर स्टॉक लिमिट लगाना।

  • वैश्विक कीमतों की निगरानी।

  • तिलहन खेती को प्रोत्साहित करना।

उद्योग और नीति प्रतिक्रिया

सलाह जारी:

  • तेल संघों और व्यापारियों को लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए निर्देश।

किसानों की सुरक्षा:

  • कच्चे और रिफाइंड तेलों पर शुल्क अंतर बनाए रखने से आयातित रिफाइंड तेल का डंपिंग नहीं होगा।

  • घरेलू मूल्यवर्धन (value addition) और पैकेजिंग को बढ़ावा मिलेगा।

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vikash

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