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केंद्र ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को बढ़ावा देने के लिए 730 करोड़ रुपये जारी किए

भारत सरकार ने गुजरात और हरियाणा के ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies – RLBs) को ₹730 करोड़ से अधिक की राशि जारी की है। यह धनराशि वित्त वर्ष 2025–26 के लिए 15वें वित्त आयोग (XV-FC) की सिफारिशों के तहत दी गई है। इसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत विकास (decentralised development) को बढ़ावा देना और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा वितरण की गुणवत्ता को सुदृढ़ करना है।

15वें वित्त आयोग (XV-FC) के अनुदान क्या हैं?

15वां वित्त आयोग (2021–26) ने स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (Local Governments) को वित्तीय स्वायत्तता (financial autonomy) देने के लिए कई प्रकार के अनुदानों की सिफारिश की थी।
इनमें से ग्रामीण स्थानीय निकायों (RLBs) को दो प्रकार के अनुदान दिए जाते हैं —

1. अप्रतिबंधित अनुदान (Untied Grants)

  • इनका उपयोग संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) में सूचीबद्ध 29 विषयों में से किसी भी स्थानीय प्राथमिकता के लिए किया जा सकता है।

  • उदाहरण: स्वच्छता, लघु सिंचाई, ग्रामीण सड़कें, सामुदायिक विकास आदि।

  • इनका उपयोग वेतन या प्रशासनिक खर्चों के लिए नहीं किया जा सकता।

2. बांधे हुए अनुदान (Tied Grants)

  • ये अनुदान विशिष्ट सेवाओं के लिए होते हैं — जैसे पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता, कचरा प्रबंधन, वर्षा जल संचयन और मल-कीचड़ उपचार (Fecal Sludge Treatment)

हर वित्त वर्ष में ये अनुदान दो किस्तों में जारी किए जाते हैं, जिनकी सिफारिश पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय करते हैं, जबकि अंतिम वितरण वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

धन आवंटन का विवरण

गुजरात

  • राशि: ₹522.20 करोड़ (वित्त वर्ष 2024–25 की दूसरी किस्त – अप्रतिबंधित अनुदान)

  • लाभार्थी स्थानीय निकाय:

    • 38 जिला पंचायतें

    • 247 ब्लॉक पंचायतें

    • 14,547 ग्राम पंचायतें

इसके अतिरिक्त, पहले चरण की रोकी गई राशि में से ₹13.59 करोड़ अब नई पात्र पंचायतों को जारी की गई है —

  • 6 जिला पंचायतें

  • 5 ब्लॉक पंचायतें

  • 78 ग्राम पंचायतें

हरियाणा

  • राशि: ₹195.13 करोड़ (वित्त वर्ष 2025–26 की पहली किस्त – अप्रतिबंधित अनुदान)

  • लाभार्थी स्थानीय निकाय:

    • 18 जिला पंचायतें

    • 134 ब्लॉक पंचायतें

    • 6,164 ग्राम पंचायतें

इन अनुदानों का महत्व

यह निधि वितरण केवल वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि नीतिगत सशक्तिकरण (policy empowerment) का माध्यम है —

  • यह ग्रामीण प्रशासन को मजबूत बनाता है और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है।

  • अप्रतिबंधित अनुदान (Untied Grants) पंचायतों को अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएँ बनाने की लचीलापन (flexibility) प्रदान करते हैं।

  • वहीं बांधे हुए अनुदान (Tied Grants) उन सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सीधे जन स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

निष्कर्ष

केंद्र सरकार द्वारा ₹730 करोड़ से अधिक की यह सहायता न केवल वित्तीय सहयोग है, बल्कि सशक्त, आत्मनिर्भर और जवाबदेह ग्राम पंचायतों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल ग्रामीण भारत में स्थानीय विकास, पारदर्शिता और सार्वजनिक सेवा वितरण को नई ऊर्जा प्रदान करेगी।

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