उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों द्वारा अपनाई जाने वाली अनुचित तौर-तरीकों की रोकथाम और उपभोक्ताओं को इसके लिए सरल समाधान प्रदान करने के लिए डार्क पैटर्न बस्टर हैकथॉनः 2023 की शुरुआत की है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह और विशेष सचिव निधि खरे ने संयुक्त रूप से नई दिल्ली में इसकी शुरुआत की। डार्क पैटर्न, धोखाधड़ी का एक ऐसा तरीका है, जिससे उपभोक्ताओं को भ्रामक सूचनाओं के माध्यम से धोखा दिया जा सकता है।
डार्क पैटर्न अपनाने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां दायरे में आएंगी। डार्क पैटर्न का मतलब है अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस यानी इंटरनेट पर डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करके गलत तरीकों से ग्राहकों को प्रभावित करना और ऐसा करने वाले ई-कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कसा जाएगा। 28 जून को सरकार ने इस मामले में एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार किया गया था, जिसको तैयार करने के लिए सभी ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टेकहोल्डर के साथ बैठक की गई थी। सरकार ने 30 दिन में सभी स्टेकहोल्डर से सुझाव मांगे थे।
वैश्विक महत्व
भारत पहला देश है जिसने उपभोक्ता संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए डार्क पैटर्न से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
क्या होता है डार्क पैटर्न?
- डार्क पैटर्न यानी किसी उपभोक्ता के लिए झूठी और आपात स्थिति बनाना या किसी उपभोक्ता को ये कहना कि यह डील अगले 1 घंटे में खत्म हो जाएगी।
- किसी उपभोक्ता के शॉपिंग कार्ट में कोई चीज अपने आप डाल देना या उपभोक्ता को कोई चीज नहीं लेने के लिए शर्मिंदा करना। उपभोक्ता को जबरदस्ती कोई चीज थोपना।
- किसी उपभोक्ता को किसी गैर जरूरी सेवा लेने के लिए उकसाना या उपभोक्ता को सब्सक्रिप्शन के जाल में फंसाना या फिर ऐसी सेवाएं जहां से उपभोक्ता आसानी से ना निकल सके।
- जानकारी छोटे अक्षरों में देना या छुपाना।
- किसी उत्पाद की जानकारी देना और उसके बाद उपभोक्ता के लिए उसे बदल देना।
- उपभोक्ता से प्लेटफार्म फीस के लिए अलग से चार्ज करना।
- किसी भी तरह से विज्ञापन को छुपा कर प्रस्तुत करना या फिर उपभोक्ता को बार-बार किसी उत्पाद लेने के लिए तंग करना ये सब डार्क पैटर्न कहलाता है।
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